सिकन्दरपुर (बलिया) दरगाह हजरत सय्यद शाह वाली कादरी के सज्जादा नशीन सैयद सेराज अजमल (प्रोफेसर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) ने आईआईटी कानपुर के छात्रों के द्वारा पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की शायरी पढ़े जानें पर उठे विवाद को लेकर “खबरें आजतक Live” से हुई एक विशेष भेंटवार्ता के दौरान अपनी प्रतिक्रिया विस्तार से व्यक्त की।
प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहां की फैज साहब की नज्में सत्ता विरोधी हो सकती है, परंतु धर्म विरोधी नहीं है, उन्होंने कहा कि शायरी में प्रोटेस्ट की बात होती है परंतु धर्म विरोध की बात नहीं होती, उन्होंने कहा कि अल्लाह का नाम किसी नज्म में आ जाए तो उसे धर्म से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है, इस नज्म को सत्ता विरोधी ही माना जाए धर्म विरोधी नहीं।
उन्होंने इस विषय मे विस्तार से समझाते हुए कहा कि फैज साहब की नज्म जो हंगामे का कारण बनी है जिगरा शीर्षक है (हम देखेंगे) यह धर्म विरोध नहीं है, ये नज्म किसी भी मजहब की मुखालिफत (विरोध नहीं करता) नहीं करता, हिंदू धर्म विरोधी तो बिल्कुल नहीं है यह असल में सत्ता विरोधी है कहा कि सत्ता जो धर्म का सहारा लेकर धर्म के मानने वालों को दबाने की कोशिश करती है, उसके खिलाफ है ये नज्म, जबकि ये नज्म किसी भी नजरिये से हिंदू मुसलमान किसी भी धर्म विशेष की विरोधी नहीं है।
इस भेंटवार्ता मे मुख्य रूप से सैयद मिनहाजुद्दीन अजमली, जैनुल आबेदीन, इरशाद अमजदी, सलमान अंसारी, कलामुद्दीन मास्टर, जावेद, राजा, फैजी अंसारी आदि लोग मौजूद रहें।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता
यूपी: आईआईटी कानपुर के छात्रों के द्वारा पाकिस्तानी शायर की नज्म पढ़े जानें पर उठे विवाद को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इस प्रोफेसर ने कहीं ये बात
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