“छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कि षष्ठी तिथि के दिन दिया जाता हैं संध्या, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव रहतें हैं अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ”
“छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कि षष्ठी तिथि के दिन दिया जाता हैं संध्या, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव रहतें हैं अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ”
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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। आज छठ पूजा का तीसरा दिन है। आज शाम को सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है। इसके पश्चात विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। अगले दिन यानी कि 21 नवंबर शनिवार को उगते सूर्य शुरू को प्रात:कालीन अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन होगा। आइए जानते हैं छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का महत्त्व और संध्या अर्घ्य का शुभ मुहूर्त…
छठ पूजा के तीसरे दिन संध्या अर्घ्य का महत्त्व-
छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कि षष्ठी तिथि के दिन संध्या अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य कार्तिक शुक्ल की षष्ठी के दिन दिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य षष्ठी यानी कि छठ पूजा के तीसरे दिन शाम के वक्त सूर्यदेव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसीलिए संध्या अर्घ्य देने से प्रत्यूषा को अर्घ्य प्राप्त होता है। प्रत्यूषा को अर्घ्य देने से लाभ मिलता है। मान्यता यह भी है कि संध्या अर्घ्य देने और सूर्य की पूजा अर्चना करने से जीवन में तेज बना रहता है और यश, धन , वैभव की प्राप्ति होती है
ऐसे दिया जाता है संध्या अर्घ्य-
संध्या अर्घ्य देने के लिए शाम के समय सूप में बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और कुछ फल लिए जाते हैं। पूजा का सूप सजाया जाता है। लोटे में जल एवं दूध भरकर इसी से सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इसके साथ ही सूप की सामग्री के साथ भक्त छठी मैया की भी पूजा अर्चना करते हैं। रात में छठी माई के भजन गाये जाते हैं और व्रत कथा का भी श्रवण किया जाता है।
सांध्य अर्घ्य का मुहूर्त-
छठ पूजा के लिए षष्ठी तिथि का प्रारम्भ 19 नवंबर को रात 09:59 बजे से हो चुका है। संध्या सूर्य अर्घ्य- 20 नवंबर, दिन शुक्रवार को सूर्योदय: 06:48 बजे होगा वहीं सूर्यास्त: शाम 05:26 बजे होगा।
रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क