उत्तरकाशी (ब्यूरो, उत्तराखंड)। उत्तराखंड में चमोली के बाद उत्तरकाशी जिले में भी निर्माणाधीन टनल में बड़ा हादसा हुआ है। यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर निर्माणाधीन टनल के टूटने से मजदूर फंस गए हैं। घटना के बाद राहत व बचाव कार्य जारी है। टनल में फंसे मजदूरों की जान बचाने को पाइप की मदद से ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही है। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचकर राहत व बचाव के कार्य करने में जुट गई है। हालांकि, टनल में फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकालने में दो से तीन दिन का समय लगा सकता है। मजदूरों को बचाने के लिए टेक्निकल एक्सपर्ट की भी राय ली जा रही है।
निर्माणाधीन टनल टूटने के बाद जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर-
सिलक्यारा से डंडालगांव तक नवयुगा कंपनी की निर्माणाधीन टनल टूटने के बाद फंसे मजदूरों को रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन, और एसडीआरएफ का बचाव दल रवाना किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, रविवार सुबह 4 बजे करीब निर्माणाधीन टनल टूटने की सूचना के बाद जिला प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया हैं। निर्माणाधीन टनल के टूटने की वजह से करीब 40 मजदूर अंदर फंसे हैं।
ऑक्सीजन दी जा रही है मजदूरों को ऑक्सीजन-
बताया जा रहा है की सिलक्यारा की और 200 मीटर पर मलबा आया है। काम कर रहे सभी मजदूर इसके अंदर 800 मीटर की दूरी पर फंसे हुए हैं। टनल के अंदर फंसे मजदूरों को ऑक्सीजन पाइप से ऑक्सीजन दी जा रही है। फिलहाल, किसी के हताहत की सूचना अभी तक नही है। घटना के सूचना मिलते ही जिला मुख्यालय से राहत और बचाव दलों को दुर्घटना स्थल के लिए भेज दिया गया है। राहत व बचाव कार्य जारी है।
बड़ें पैमाने पर राहत व बचाव कार्य जारी-
निर्माणाधीन टनल में फंसे करीब 40 मजदूरों को बचाने के लिए जिला प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम मौके पर है। टनल के अंदर आक्सीजन के लिए पाइप डालने का कार्य किया जा रहा है। रविवार सुबह 4 बजे सुबह टनल टूटने की सूचना है। रेस्कयू टीम की ओर से मलबा हटाने का काम जारी है। लेकिन, लगातार मलबा आने से परेशानी हो रही है।
पहले भी चमोली जिलें में हो चुका है दर्दनाक हादसा-
उत्तराखंड के चमोली जिले में भी 2021 में टनल में मजदूर फंस गए थे। तपोवन सुरंग में मजदूर फंसे थे। सुरंग से मलबा साफ करने को जेसीबी के साथ डम्पर भी लगाए गए थे, लेकिन कई दिनों की मशक्कत के बाद भी जिला प्रशासन को कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी। टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए नई मशीनों के साथ ड्रिल का प्रयास किया गया था। जिला प्रशासन की ओर से कई दिनों तक राहत व बचाव कार्य किया गया था। टनल में फंसे होने की वजह से 53 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी।