सिकन्दरपुर (बलिया) पर्यावरण की सुरक्षा एवं वन संपदा को बढ़ाने के लिए सरकार व अन्य संसाधनों के माध्यम से प्रतिवर्ष लाखों पौधे लगाए जाते हैं। लेकिन वहीं विभागीय लापरवाही व अवैध आरा मशीनों के संचालन से सिकन्दरपुर कस्बे में हरियाली पर धड़ल्ले से आरा चल रहा है।प्राप्त जानकारी के अनुसार सिकन्दरपुर कस्बे में मात्र छः से सात आरा मिलों को ही लाइसेंस प्राप्त है बाकी क्षेत्र मे संचालित दर्जनों आरा मिल बगैर लाइसेंस के ही संचालित हो रहीं हैं।
आलम यह है कि पिछले काफी समय से आरा मशीनों पर कार्रवाई को लेकर शिकायत की गई, लेकिन पुलिस विभाग के खेल से पुन: संचालित होने लगती हैं। जिससे कार्रवाई धरातल पर नहीं आ रही है।वन विभाग की शिथिलता के कारण अवैध आरा मशीन संचालकों के माध्यम से हरे व फलदार वृक्षों को काट लिया जाता है। क्षेत्र के अवैध आरा मशीन पर नीम, पीपल सहित अनेक प्रतिबंधित पेड़ों की लकड़ी बड़ी मात्रा में जमा कर रखी है। पीपल की हरी लकड़िया रोजना रात्रि को ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर आती है और सिकन्दरपुर स्थित आरा मशीनों पर एकत्रित की जाती है ।आरा मशीन संचालक अवैध रूप से लकड़ियों को काट रहे हैं पर वन विभाग के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। वन विभाग के अधिकािरयों को इसकी जानकारी होने के बावजूद अनजान बने बैठे हैं। इन वृक्षों के अवैध कटान पर रोक लगाने में विभाग का रवैया भी संतोषजनक नहीं है। सूत्रों के मुताबिक जिन अवैध आरा मशीन पर कार्रवाई विभाग करता है उन मशीनों पर विभागीय कर्मियों एवं पुलिसिया खेल में जीवनदान मिल जाता है। इस वर्ष अभी तक किसी भी आरा मशीनों में छापामारी नहीं की गई है और न ही प्राथमिक दर्ज की गई है।स्थानीय लोगों का कहना है कि अवैध रूप से हरे पेड़ काटने से पर्यवारण संतुलन बिगड़ रहा है तथा पशुओं एवं पक्षियों सहित आम राहगीरों को इस तपती धूप में शीतल छावं नसीब नहीं हो पा रही है।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता
बलिया: वन विभाग के कर्मचारियों के मिली भगत से धड़ल्ले से संचालित हो रहें है अवैध आरा मिल, प्रशासन बना बेख़बर
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