शिक्षक दिवस के महत्व के बारे में सभी को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रबंधक डॉक्टर नरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि भारत में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता है जबकि अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस का आयोजन 5 अक्टूबर को होता है, रोचक तथ्य यह है कि शिक्षक दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है लेकिन सबने इसके लिए एक अलग दिन निर्धारित किया है, कुछ देशों में इस दिन अवकाश रहता है तो कहीं-कहीं यह कामकाजी दिन ही रहता है, यूनेस्को ने 5 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस घोषित किया था, साल 1994 से ही इसे मनाया जा रहा है। शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के मकसद से इसकी शुरुआत की गई थी।
शिक्षक दिवस के इतिहास के बारे में पूरी जानकारी देते हुए प्रबंधक ने कहा कि भारत में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के द्वितीय राष्ट्रपति रहे राधाकृष्णन का जन्मदिवस होता है।चीन में 1931 में नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शिक्षक दिवस की शुरूआत की गई थी, चीन सरकार ने 1932 में इसे स्वीकृति दी थी बाद में 1939 में कन्फ्यूशियस के जन्मदिवस, 27 अगस्त को शिक्षक दिवस घोषित किया गया लेकिन 1951 में इस घोषणा को वापस ले लिया गया।
जबकि साल 1985 में 10 सितंबर को शिक्षक दिवस घोषित किया गया, अब चीन के ज्यादातर लोग फिर से चाहते हैं कि कन्फ्यूशियस का जन्मदिवस ही शिक्षक दिवस हो, वहीं रूस में 1965 से 1994 तक अक्टूबर महीने के पहले रविवार के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता रहा। पर साल 1994 से विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर को ही मनाया जाने लगा, अमेरिका में मई के पहले पूर्ण सप्ताह के मंगलवार को शिक्षक दिवस घोषित किया गया है और वहां सप्ताहभर इसके आयोजन होते हैं, थाइलैंड में हर साल 16 जनवरी को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है, यहां 21 नवंबर, 1956 को एक प्रस्ताव लाकर शिक्षक दिवस को स्वीकृति दी गई थी, पहला शिक्षक दिवस 1957 में मनाया गया था। इस दिन यहां स्कूलों में अवकाश रहता है, ईरान में वहां के प्रोफेसर अयातुल्लाह मोर्तेजा मोतेहारी की हत्या के बाद उनकी याद में दो मई को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। मोतेहारी की दो मई, 1980 को हत्या कर दी गई थी।
तुर्की में 24 नवंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, वहां के पहले राष्ट्रपति कमाल अतातुर्क ने यह घोषणा की थी, मलेशिया में इसे 16 मई को मनाया जाता है, वहां इस खास दिन को ‘हरि गुरु’ कहते हैं।
इस दौरान कीर्ति गुप्ता, संतोष शर्मा, शौकत अली, दिलीप तिवारी, घनश्याम प्रसाद, रामजी राय, असलम अली, अमृत कांत सिंह, हेमंत राय, कविंद्र वर्मा, मदन गुप्त, ओमप्रकाश वर्मा, तेज प्रकाश, आदि शिक्षक मौजूद थे, कार्यक्रम का सफल संचालन त्रिलोकी नाथ पांडे ने किया।