रतसर (बलिया) “अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे, बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे” शकील बदायुनी की ये पंक्तियां जनउपुर गांव के एक परिवार पर सटीक बैठती है जिसका मुखिया गम्भीर बीमारी की चपेट में है । महंगी जांच व दवा के कारण इलाज करवाने में असमर्थ है । इलाज की व्यवस्था ना होने के कारण पीड़ित ने प्रधानमन्त्री व मुख्यमन्त्री से मदद की गुहार लगाई है ।
बताते चले कि यह मामला बलिया तहसील अन्तर्गत विकास खण्ड गड़वार के जनऊपुर गांव का है । गांव निवासी नन्द जी स्वर्णकार (66) की कुल्हे की हड्डी टूटने के कारण परिवार वालों पर गमों का पहाड़ टूट गया है । वह दो पुत्रियों एवं तीन पुत्रों के पिता है । नंद जी स्वर्णकार आपूर्ति विभाग में चपरासी के पद से छः वर्ष पहले सेवानिवृत्त हुए है ।अपनी सारी जमा पूंजी बच्चों की पढाई, मकान एवं एक पुत्री की शादी में खर्च कर दिए है । नंद जी बचपन से ही पोलियों के शिकार है जिसके कारण एक पैर बेजान है ।जैसे-तैसे जिन्दगी की गाड़ी चल रही थी कि एक माह पूर्व बाजार जाते समय साइकिल से गिरकर घायल हो गए । परिजन उन्हें ले कर जिला चिकित्सालय गए जहां चिकित्सकों ने बीमारी की गम्भीरता को देखते हुए बीएचयू ट्रामा सेन्टर भेज दिया जहां कुछ दिनों तक इलाज चला और चिकित्सकों ने बताया कि आपरेशन के अलावा अन्य कोई विकल्प नही है जिसमें खर्च चार से पांच लाख रुपए लग सकते है । परिवार हताश एवं निराश हो कर लौट आया। उन्हें सरकारी पेंशन के नाम पर साढे छः हजार रुपए मिलते है। खेत भी नही है ताकि बेचकर इलाज कराया जा सके। सरकारी महकमें में होने के कारण प्रधानमन्त्री जनआरोग्य योजना का संकल्पित नारा ‘बीमार ना रहेगा अब लाचार, बीमारी का होगा मुफ्त उपचार ‘ इन पर लागू नही होती, बड़ा पुत्र गोपाल (21) बेरोजगार है। बड़ी पुत्री की शादी हो चुकी है जब कि दो नाबालिग पढ रहे है। छोटी पुत्री के हाथ पीले करने है । उधर गांव के लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधि व प्रशासन से इलाज में मदद करने की अपील की है ।
बलिया: गंभीर बीमारी से जूझ रहे इस स्वर्णकार ने लगाई मदद की गुहार
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रिपोर्ट- संवाददाता डॉ ए० के० पाण्डेय