घोसी (ब्यूरों) घोसी विधान सभा के चुनाव में मतदाताओं का किस तरफ जा रहा है झुकाव, कौन बनेगा लखनऊ की रंगीन दुनिया का बेताज बादशाह, यह सवाल आज हर तरफ चर्चा मे है, सियासी हवा का रूख घोसी मे उसी दिन बदल गया जिस दिन सत्ता की हनक मे भनक तक नही लगी, सियासत का रंग घोसी मे रोज बदल रहा है। बगावत के साथ अदावत में मिलावट का काम जोरो पर चल रहा है। दलों की दलीय सीमा तोड़कर मतदाता अपने रिश्ते नाते की परवाह किये बगैर नये इतिहास की रचना के लिये संकल्पित हो रहे है। सत्ताधारी दल के दल दल के बीच कमल सूखने लगा है ।मतदाता इस बार के निर्णय को देखकर बिदकने लगा है। वहीं बहुजन से हरिजन भी इस बार खिसकने लगा है। समय के साथ संयम भी इस बार मतदाताओं का टूट रहा है।इसी को देखकर उम्मीदवारों का पसीना छूट रहा है।घोसी में आज गर्म जोशी का माहौल है, हर तरफ हलचल है।ब्यवस्था की बाजीगरी में अभी तक कमल खिल नही पाया है, बिरादरी बाद का बिनाश हो गया, सबको अपनी गलती का ऐहसास हो गया है। घोसी बिधान सभा से बिरादरी के बदौलत दौलत और सम्मान पाये तकदीर के शहंशाह फागू चौहान जो बर्तमान में बिहार के राज्यपाल है आज उनकी भी पहचान घोसी की सियासी धरती से गायब है, उनकी पहचान को ही मतदाता नाजायज कह रहा है।
चौहान बिरादरी के लोग अपने सम्मान को कायम रखने के लिये आपनी बिरादरी का प्रत्यासी चाहते थे। लेकीन वरासत के लिये खुशामद के बावजूद बिना ङर भय बीजेपी ने बिजय राजभर को उम्मीदवार बनाकर बगावत के लिये मजबूर कर दिया है।
घोसी बिधान सभा के चुनाव मे मद्देशिया समाज समाजवादी उम्मिदवार सुधाकर सिंह के समर्थन में करेगी प्रचार, मद्देशिया समाज के पदाधिकारीयो का यह गोपनीय निर्णय हैं, पर क्या भाजपा से मोहभंग व बगावत की चाभी से खोलेगे सुधाकर सिंह के लिये बिधान सभा का द्वार।
मामला बर्तमान सरकार मे मद्देशिया समाज को अपमानित करने को लेकर चल रहा है यही तो इस समाज को खल रहा है मऊ में इस समाज के धर्मशाला पर अबैध हो गया, इसी सरकार में कोपागंज में भी मद्देशिया समाज के धर्मशाला पर बैध कब्जा हो गया है। बिरोध करने पर उल्टे ही कोपागंज मे 35 लोगो पर पुलिस ने मुकदमा कायम कर दिया। वास्वतविकता की परख के लिये संगठन के लोग सरकार से गुहार लगाते रहे, अपनी ब्यथा सुनाते रहे’ लेकिन दर्द पर मरहम कौन लगाये दर्द को और बढा दिया गया। सरकार से खार खाये मद्धेशिया समाज के लोग अब खुल्लम खुल्ला बगावत पर उतर गये है। नाम न छापने के शर्त पर संगठन के एक जिम्मेदार पदाधिकारी ने इस बात को बताया है। किसी भी कीमत पर बीजेपी की फिजियोथैरेपी घोसी मे नही होने दिया जायेया, निर्दलीय उम्मीदवार सुधाकर सिह के भाग्य का सितारा चमकने लगा है बुझा हुआ सियासी सूरज दहकने लगा है? वहीँ अन्य दलो के मनोबल मे लगातार गिरावट जारी है।
कांग्रेस व कम्युनिस्ट के उम्मीदवारो के चेहरे पर अभी से थकावट उभर गयी है, सियासत के चुनावी संग्राम में अब आमने सामने की टक्कर है। एक तरफ बिजयश्री का बीजेपी शंखनाद कर रही है तो दूसरी तरफ घोसी के तकदीर की चाभी लेकर निर्दल सुधाकर के साथ पब्लिक की हुंकार भयंकर है। आज चुनावी तापमान स्वाभिमान की गर्मी से बढ गया है। अपमान की इबारत लिखे जाने का जबाब देने की माकूल तैयारी है। कदम कदम पर अवरोध पैदा कर रहा अमला सरकारी है। बगावत का बिगुल बज गया है महाभारत शूरू है नरोमरो वा कुन्जरो का उद्घोष हो चुका है। हर तरफ हलचल है । सारे महारथी अपने पूरे लाव लश्कर के साथ मैदान में उतर गये है।गर्जना और ललकार के बीच सभी का प्रदर्शन जारी है कौरव सेना पर पाङव भारी है। बिश्वास के साथ की हमे उनकी नहीं चिन्ता उन्हें चिन्ता हमारी है हमारे नाव के रक्षक सुदर्शन चक्रधारी है।
जैसै जैसे समय की सूई आगे सरक रही है घोसी की सियासी धरती दरक रही है।कब होनी अनहोनी मे बदल जाये कहना मुश्किल है क्योंकि मतदाताओं के मन मे क्या चल रहा है उनके अन्दर क्या पल रहा है समझना आसान नही रह गया है। फिर भी जिस तरह का माहौल है जिस तरह का सियासी कोलाहल है उसमे तो अभी तक आगे चल रहा निर्दल है, कल क्या होगा जानता कौन है, क्योंकि अभी तक मतदाता मौन हैं, इसिलिये सियासी दल बेचैन है।इस बार मुद्दा- जुदा है। न देश की स्मिता का सवाल है न प्रदेश में सरकार बनाने का बवाल है, बल्कि घोसी की सियासी धरती का नेता बनने लायक कौन है को लेकर सवाल उठ रहा है? फैसला के लिये अभी फासला है मतदाता वक्त आने पर अपना फैसला दिखायेगे, यह चर्चा का बिषय बना हुआ है, शनै: शनै: समय करीब आ रहा है देखिये सत्ता की महत्ता कायम रहती है या निर्दल के साथ मतदाताओ का बल सम्बल देता है। वैसे तो घोसी की महान जनता का फैसला अजीब होता है। कुछ दिन और इन्तजार करें फैसला हौसला के साथ करें घोसी का भविष्य इसी फैसले का इन्तजार कर रहा है।
रिपोर्ट- मऊ ब्यूरों ए० एल० यादव “समदर्शी”
यूपी: घोसी विधान सभा के चुनाव में मतदाताओं का किधर होगा झुकाव, कौन बनेगा घोसी का बेताज बादशाह
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