बलिया (ब्यूरों) वसुधैव कुटुम्बकम् के मूल संस्कार तथा विचारधारा से ओतप्रोत भारत देश मे मानवता का एक सबसे अच्छा गुण है-समाजसेवा । समाज सेवा एक ऐसा कार्य है जो सामाजिक भलाई के लिए किया जाता है तथा समाजसेवी एक ऐसा व्यक्ति है जो निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करता है। सच्चा समाजसेवी वही जो अपना पूरा जीवन समाज के लिये समर्पित कर दे । मानवता के लिये कुछ ऐसा कर जाये कि मृत्यु के बाद भी समाज को उस पर गर्व हो। इसी कड़ी में रतसरकलां ग्रामपंचायत की महिला ग्रामप्रधान स्मृति सिंह तथा उनकी बड़ी बहन दीप्ति सिंह (सचिव ,अक्सा फाउंडेशन) ने अपने बाबा पूर्व चेयरमैन डिस्ट्रिक्ट बोर्ड,बलिया स्व.सहजानन्द सिंह व अपने पिता पूर्व ब्लाक प्रमुख,गड़वार स्व.अखण्डानन्द सिंह के पद चिन्हों पर कदम बढ़ाते हुये अपने जन्मदिन को सदा के लिये यादगार बना दिया । रतसरकला ग्रामपंचायत की ग्रामप्रधान स्मृति सिंह तथा उनकी बड़ी बहन दीप्ति सिंह ने समाज को ऐसा तोहफा दिया है जो इस जीवन के बाद भी मानवता के लिये लाभप्रद तथा मिशाल होगा ।
स्मृति सिंह ने अपने जन्मदिन से पूर्व अपनी बड़ी बहन दीप्ति सिंह के साथ वाराणसी जाकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के शरीर रचना विभाग(अनैटोमि)की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सी. मोहंती के समक्ष समस्त औपचारिकताओ को पूर्ण कर अपने-अपने शरीर को चिकित्सकीय शिक्षा व अनुसंधान आदि कार्यो के लिये लोकहित में दान कर दिया ।
देहदान के पश्चात गांव वापस आने पर लखनऊ विश्वविद्यालय से उच्चशिक्षा प्राप्त तथा अपने समाजिक सरोकारो के लिये पूर्व में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित अनेकों सरकारी/गैरसरकारी संस्थाओ से सम्मानित रतसरकला की ग्रामप्रधान स्मृति सिंह ने “ख़बरे आजतक Live”वेब मीडिया से भेंटवार्ता में बताया कि वह हर बार अपना जन्मदिन सामान्य तरीके से मनाती थी ,इस बार भारतीय परंपरा के महादानी दधीचि और शिबी जैसे राजाओं के शरीरदान की पौराणिक परंपरा तथा शरीरदान/अंगदान जो भारत के खास मूल्यों,आदर्शों और समाज के संस्कारों का एक अभिन्न हिस्सा है ,से प्रेरणा लेते हुए जिसमे वर्तमान में समाज में शरीरदान व रक्तदान के प्रति लोगों में जागरूकता की बेहद कमी व अंधविश्वास को देखते हुये मैंने व मेरी बड़ी बहन ने बड़े भाई मुक्तानन्द सिंह की सहमति से देहदान का फैसला लिया। आप देहदान/अंगदान/रक्तदान करके पूरी मानवता को जीवन और एक उम्मीद प्रदान करते है। अक्सा फाउंडेशन की सचिव व समाजकार्य में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर तथा जयपुर की प्रतिष्ठित स्वयंसेवी संस्था में उच्चपद पर कार्यरत दीप्ति सिंह ने कहा कि रक्तदान की तरह ही देहदान/अंगदान भी किसी के जीवन को बचाने के समान है । अंगदान को प्रोत्साहित किया जाना अतिआवश्यक है,परिवार व समाज की सहमति से विज्ञान को देहदान/अंगदान करना आज समाज व समय की जरूरत है। दोनो बहनों ने लोगो से खासकर युवाओ से समस्त आशंकाओं को दूर कर अंगदान/शरीर दान का संकल्प लेने व समाज मे देहदान व रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने का आह्वान किया। स्मृति सिंह व उनकी बड़ी बहन द्वारा किये गए इस शरीर दान की चहुओर भूरी-भूरी प्रसंशा हो रही है ।
रिपोर्ट- डॉ ए० के० पाण्डेय