सिकन्दरपुर (बलिया) रफ्ता-रफ्ता सर्दी का मौसम परवान चढ़ रहा है, गलन भरी हवा और कोहरे की चादर देर सवेरे तक पैर पसारने लगी हैं, यह सर्द मौसम प्राणियों के लिए तो कष्टदायी है ही, साथ ही वनस्पतियों के लिए भी बड़ा संवेदनशील मौसम हैं, इस समय इलाके में रबी की फसल लहलहा रही है, लेकिन ठंड बढ़ने से किसानों को सरसों और आलू की फसल मेें नुकसान होने का डर सता रहा है, आजकल सर्द रातों मे न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक गिर जा रहा हैं। सुबह सूरज भी अब काफी देर से निकल रहा है, एक तरफ ठंड का मौसम लोगों की दुश्वारियां बढ़ा रहा है, तो दूसरी तरफ किसानों को अपनी फसल बचाने की चिंता खायें जा रही है, मटर, आलू, और सरसों की खेती करने वाले किसानों को डर है कि कहीं उनकी फसलों में रोग न लग जाए, बताते चलें कि तापमान मे लगातार गिरावट आने से सरसों में माऊं और आलू में झुलसा रोग लगने का खतरा बढ़ गया है।
ऐसे मौसम मे सरसों की फसल को माऊं कीट से बचाने के लिए एजाडिरैक्टिन 0.15 प्रतिशत ईसी 2.5 लीटर, ईमेथोएट 30 प्रतिशत ईसी 1.0 लीटर, ऑक्सीडिमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ईसी एक लीटर में से किसी एक का 500 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें, वहीं दूसरी तरफ आलू की फसल में झुलसा रोग होने पर पत्तियों पर भूरे व काले रंग के धब्बे बन जाते हैं और पौधा झुलस जाता है, फसल में रोग की शुरुआत में ही कॉपरऑक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2.5 किलोग्राम, जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2.0 किलोग्राम में से एक भी रसायन को 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
कोहरा व पाले से फसलों को बचाने के लिए हल्की सिंचाई करते रहें यदि कीट अधिक हों या फसलों में अधिक नुकसान हो रहा तो रसायानों का छिड़काव कर सकते हैं, या किसान विभाग से संपर्क कर अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता