रतसर (बलिया) विकास खण्ड गड़वार के रतसर कला न्याय पंचायत के अंतर्गत डेढ हजार की आबादी वाले गांव भैरोबांध के बाशिंदे टूटी पुलिया के जरिये जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर है, यह स्थिति बीते डेढ साल से है। पुलिया निर्माण के लिए ग्रामीण शासन प्रशासन से गुहार लगाते थक गए है लेकिन पुलिया का निर्माण उनके लिए अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है। नूरपुर से भैरोबांध को जोड़ने वाले मार्ग पर दो दशक पूर्व विधायक निधि से बनी पुलिया डेढ़ वर्ष पूर्व सामान लदे ट्रैक्टर ट्राली का भार सहन नही कर सकी और पूरी तरह ध्वस्त हो गई। उसी समय से इस मुख्य मार्ग से आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। पुलिया के निर्माण के लिए ग्रामीणों ने संबंधित जन प्रतिनिधियों से लगायत शासन प्रशासन से बार-बार शिकायत की और सात माह पूर्व सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करके भी अपना विरोध जताया लेकिन आज तक स्थिति जस की तस बनी है। मायूसी के आलम में गांव वाले टूटी पुलिया पर ही बांस बल्ली से मचान बनाकर जोखिमपूर्ण आवागमन के लिए मजबूर है। गांववालों के लिए स्थिति तब विकट हो जाती है जब प्रसव पीड़िता या गंभीर मरीज को चारपाई पर लादकर एम्बुलेंस तक लाना पड़ता है। बीते लोकसभा चुनाव में इस गांव के ग्रामीणों ने पुलिया को लेकर उग्र प्रदर्शन एवं वोट का बहिष्कार किया था तो उस समय गांव वालों को मनाने आए प्रशासनिक अमला द्वारा उन्हें यह आश्वासन मिला कि जैसे ही आचार संहिता समाप्त होगा तुरन्त ही पुलिया का निर्माण करा दिया जाएगा लेकिन आजतक गांववालों की मांग अधूरी है।
इस बावत खण्ड विकास अधिकारी डा० विनोद कुमार मणि त्रिपाठी ने बताया कि ब्लाक के कई गांवों में सचिवों का स्थानान्तरण इधर से उधर हुआ है। मामला मेरे संज्ञान में है पुलिया निर्माण ग्राम सभा की कार्ययोजना में प्राथमिकता के आधार पर रखा गया है । जैसे ही सचिव को स्थायी चार्ज मिलता है पुलिया का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
रिपोर्ट- संवाददाता डॉ ए० के० पाण्डेय