बलिया (ब्यूरों) इंसानियत इन्सान को इंसान बना देती है, लगन हर मुश्किल को आसान बना देती है, वरना कौन जाता मंदिरों में पूजा करने, आस्था ही पत्थरों को भगवान बना देती है…।
सच ही कहा हैं इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता। तभी तो कहा जाता है मानवता की सेवा करने वाले हाथ उतने ही धन्य होते हैं जितने परमात्मा की प्रार्थना करने वाले होंठ। इसे चरितार्थ किया चौकी प्रभारी सहतवार प्रमोद कुमार सिंह ने। अधिसंख्य लोग तो खाकी को दहशत का पर्याय मानते हैं लेकिन उन्हें काश! इस बात का भी यकीन होता कि इसे पहनने वाला भी एक बेटा, एक भाई, एक पति और सबसे बढ़कर एक इंसान भी होता है। गस्त पर निकले सहतवार पुलिस चौकी इंचार्ज प्रमोद कुमार सिंह को लोगों ने कंपकंपाती ठंड में गरीब, विधवा व असहाय लोगों को कंबल ओढ़ाते देखा तो उनकी बानगी भी कुछ ऐसी ही थी। रेलवे स्टेशन, बालक बह्म बाबा स्थान, बद्री सिंह चौराहा, चैनराम बाबा समाधि स्थल, दुर्गा मन्दिर आदि स्थानों पर उन्होंने कंबल वितरित किया। जहां कहीं भी कोई लाचार या असहाय लोग दिखाई दिए, श्री सिंह ने उन्हें कम्बल के साथ बिस्कुट का पैकेट भी प्रदान किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ठण्ड एवं गलन के कारण कई गरीब एवं असहाय लोगों की मौत हो जाती है। यह समाज के लिए बहुत ही शर्मिन्दगी की बात है। श्री सिंह ने समाजसेवियों को आईना दिखाते हुए कहा कि बहुत से ऐसे सक्षम लोग हैं जो चाहें तो थोड़ा बहुत असहायों की सहायता कर उनकी जिन्दगी बचा सकते हैं लेकिन ऐसा करने वाले अंगुलियों पर ही गिने जाते हैं। हमराही कांस्टेबल आशुतोष सिंह व अशफाक अहमद आदि भी इस कार्य में शरीक हुए।
अंत में श्री सिंह जैसी शख्सियतों पर एक शेर मौजूं है…
तेरी नेकी का लिबास ही तेरा बदन ढंकेगा ऐ बंदे,
सुना है ऊपर वाले के घर कपड़ों की दुकान नहीं होती…।
रिपोर्ट- बलिया ब्यूरों लोकेश्वर पाण्डेय