अब मोदी सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर की कमी को दूर करने के लिए सख़्त क़दम उठाने का फ़ैसला किया है। सरकार ने इन दोनों सामानों को आवश्यक वस्तु घोषित कर दिया है।
आवश्यक वस्तु घोषित करने का मतलब ये होता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास इनके उत्पादन, गुणवत्ता और बिक्री को नियमित करवाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने आवश्यक वस्तु क़ानून 1955 के तहत ये फ़ैसला लिया है। साथ ही सरकार ने नाप तौल कानून के तहत एक एडवाइजरी भी जारी की है ताकि मास्क और सैनिटाइजर को अधिकतम ख़ुदरा क़ीमत यानि एमआरपी पर बिक्री सुनिश्चित की जा सके।
फ़िलहाल इन दोनों वस्तुओं को 30 जून 2020 तक आवश्यक वस्तु की श्रेणी में रखने का फ़ैसला हुआ है। अवषयम वस्तु अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 7 साल की सज़ा हो सकती है। इसके अलावा ज़ुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। सरकार को उम्मीद है कि उसके इस क़दम से मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाज़ारी और बेतहाशा क़ीमत वृद्धि पर रोक लग सकेगी। जिससे इन दोनों वस्तुओं की आपूर्ति सही दाम पर सुनिश्चित की जा सके।
उपभोक्ता हेल्पलाइन पर भी कर सकते हैं शिकायत-