बता दें कि, एस्मा भारतीय संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है, जिसे सन् 1968 में लागू किया गया था। किसी भी संकट की घड़ी में कर्मचारियों के द्वारा हड़ताल को रोकने के लिए यह कानून बनाया गया था। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को समाचार पत्रों या अन्य सुचना माध्यमों से सूचित किया जाता है। किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है। इस कानून के लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उनका यह कदम अवैध और दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। एस्मा कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है।
रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क