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रतसर (बलिया) सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर प्रदेश सरकार सतत प्रयत्नशील है वहीं जनपद के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद सरकार के मंसूबों पर पानी फेर रही है। बार बार ध्यानाकर्षण के बाद भी किसी समस्या के समाधान के प्रति ये अधिकारी गंभीर नही दिख रहे है। उदाहरण स्वरूप रतसड़ कसबा को जोड़ने वाली वह सड़क है जो दशक से एक समस्या बनी हुई है। संबंधित अधिकारियों के संज्ञान के बाद भी सड़क की दशा नही सुधरी है। बीते दशक से रतसर खुर्द एवं रतसरकलां के बाजार वासी कीचड़ में आवागमन कर रहे है, लेकिन उनकी सुधि लेने वाला कोई नही है समस्या के समाधान के लिए विभिन्न माध्यमों से लोंगों ने संबंधित उच्चाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया लेकिन नतीजा आजतक सिफर है।
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प्रदेश में भाजपा सरकार के अस्तित्व में आने पर लोंगों को लगा कि अब मुश्किल आसान होगी लेकिन ऐसा नही हुआ और आज भी लोग कीचड़ सने उस रास्ते पर चलने को मजबूर है। क्षेत्र के सबसे पुराने व प्रसिद्ध रतसर बाजार के दक्षिणी प्रवेश द्वार पर हमेशा कीचड़युक्त जल जमाव से राहगीरों को काफी मुसीबत झेलनी पड़ रही है वहीं स्थानीय लोगों और बाजार वासियों का जीवन नारकीय हो गया है। गड़वार विकास खण्ड के रतसर कला स्थित इस बाजार में स्थानीय लोगों के अलावा सीमा से सटे दर्जनों गांव के लोग प्रतिदिन बैंक, डाकघर, गैस एजेंसी एवं जरूरी सामानों की खरीददारी के लिए आते है।
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वर्षो से उपेक्षा का दंश झेल रहें इस बाजार के दक्षिणी चट्टी से प्रवेश करते ही लगभग पांच सौ मीटर की सड़क पर जल निकासी की व्यवस्था न होने के कारण अक्सर जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। हल्की बारिश होने के बाद सड़क पूरी तरह कीचड़ से भर जाता है जिससे आवागमन की समस्या के अलावा स्थानीय निवासियों को संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सम्प्रति पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोरोना से जुझ रहा है। बीमारी से बचाव के लिए साफ- सफाई पर विशेष ध्यान है। लेकिन इस सड़क पर किसी का ध्यान नही है वर्षों से सड़क का कायाकल्प की आस लगाए बाजार वासियों को कबतक इंतजार करना होगा यह यक्ष प्रश्न आज भी बना हुआ है। स्थानीय लोगों ने सम्बन्धित विभाग का ध्यान आकृष्ट कराने की गुहार लगाई है।
रिपोर्ट- डॉ ए० के० पाण्डेय