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बलिया (ब्यूरो) बसपा संस्थापक कांशीराम के विश्वस्त सहयोगी रहे दलितों के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री घूरा राम का निधन लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान गुरुवार की सुबह 4 बजे हो गया। बताया जा रहा है कि उनकी मौत कोरोना संक्रमण से हुईं है। मौत की सूचना मिलते ही प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ पड़ीं। वह 1991 में पहली बार विधान सभा का चुनाव लडेे। 03 जून 1995 वाली मायावती की पहली सरकार में घूरा राम स्वास्थ्य राज्य मंत्री बने। वह रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक भी रहे। 2012 के चुनाव में उन्हें रसड़ा में हार का सामना करना पड़ा। 2017 में बिल्थरारोड विधानसभा से वह चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें सफलता नही मिली। बसपा सुप्रीमो ने उन्हें एक बडा मौका देते हुए आजमगढ़ जिले के लालगंज सुरक्षित सीट से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया। घूरा राम ने क्ष्रेत्र में कड़ी मेहनत भी की, लेकीन अंतिम दौड़ में उनका टिकट कट गया। टिकट कटने से दुखी होकर वह बसपा को छोड़ सपा में शामिल हो गये।
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सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बेहतर रिश्ते भी बन गये। पूर्व मंत्री घूरा राम के निधन पर समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने वुधवार को समाजवादी पार्टी विधानसभा सिकनंदरपुर द्वारा आयोजित शोकसभा मे कहा कि घुराराम का असमायिक जाना दलितों और पिछड़ों की आवाज का बंद होना है। कहा कि घूराराम अजीवन कमजोर लोगों की लड़ाई में जनपद में सबसे आगे रहते थे। उनके निधन से समाजवादी पार्टी की अपूर्णिनीय क्षति हुई है। साथ ही साथ गरीबों, मजदूरों, दलितों, और वंचित लोगों का मसीहा चला गया। जिसकी भरपाई करना मुमकिन नहीं है। शोक सभा में डॉक्टर मदन राय, फुन्नु राय, भीष्म यादव, मुन्नीलाल यादव, विनोद राम, वीर बहादुर वर्मा, नमो नारायण सिंह, देव नारायण यादव, सेराज खान, खुर्शीद आलम, चंद्रमा यादव, शिव जी त्यागी, ह्रदय यादव, बबलू सिंह आदि लोग उपस्थित रहे। शोक सभा की अध्यक्षता रामजी यादव तथा संचालन अनंत मिश्रा ने किया।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता