“डीपीआरओ कार्यालय को केंद्रीय वित्त व राज्य वित्त के तहत उपलब्ध कराए गए थे 129 करोड़ 35 लाख रुपये, अब तक 117 करोड़ 82 लाख रुपये ही विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों के लिए हो सके हैं खर्च, 11 करोड़ 53 लाख रुपये की राशि अभी भी ग्राम पंचायतों के खाते में शेष”
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अंबेडकर नगर (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए अवशेष 11 करोड़ से अधिक रकम को खर्च कर पाना बड़ी चुनौती बन गई है। अगले कुछ दिनों में ही पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो जाएगी। इसके बाद संबंधित राशि का सदुपयोग कैसे हो पाएगा, यह एक बड़ा प्रश्नचिह्न बन गया है। ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए जिले को मौजूदा वित्तीय वर्ष में 129 करोड़ 35 लाख उपलब्ध कराए गए थे। इसकी तुलना में विभिन्न विकास कार्यों में 117 करोड़ 82 लाख रुपये ही खर्च किए जा सके। ऐसे में 11 करोड़ 53 लाख रुपये अभी भी ग्राम पंचायत के खाते में शेष है। अब जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में 20 दिन ही शेष रह गए हैं, और चुनाव की अधिसूचना भी जारी होने वाली है तो ऐसे में शेष राशि से संबंधित ग्राम पंचायतों में कितना विकास कार्य कराया जा सकेगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। ग्रामीणों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हो सकें, इसके लिए केंद्रीय वित्त व राज्य वित्त के तहत डीपीआरओ कार्यालय को धन उपलब्ध कराया जाता है। दोनों वित्त से उपलब्ध राशि से ग्राम पंचायतों में सड़क, नाली निर्माण, शुद्ध पेयजल के लिए हैंडपंप लगाने, रिबोर, प्रकाश समेत कई अन्य प्रकार के कार्य कराए जाते हैं। शासन से धन की उपलब्धता के बावजूद जिम्मेदारों की ओर से ग्राम पंचायतों में विकास कार्य को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जाती है। नतीजा यह रहता है कि ज्यादातर ग्राम पंचायतों में या तो विकास कार्य धीमी गति से चलते हैं या फिर जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते कार्य ही ठप हो जाता है। इसका खामियाजा संबंधित ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है।
यहां देखें पूरी डिटेल-
चालू वित्तीय वर्ष में डीपीआरओ कार्यालय को केंद्रीय वित्त व राज्य वित्त के तहत कुल 129 करोड़ 35 लाख रुपये उपलब्ध कराए गए थे। अब तक 117 करोड़ 82 लाख रुपये ही विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों के लिए खर्च हो सके हैं। 11 करोड़ 53 लाख रुपये की राशि अभी भी ग्राम पंचायतों के खाते में शेष है। डीपीआरओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020 में केंद्रीय वित्त में 17 करोड़ रुपये की राशि अवशेष थी, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में 68 करोड़ पांच लाख रुपये मिलने के बाद कुल राशि 85 करोड़ 15 रुपये हो गई। इसकी तुलना में अब तक 82 करोड़ 24 लाख रुपये विभिन्न कार्यों में खर्च किए गए। ऐसे में 2 करोड़ 91 लाख रुपये अभी भी शेष हैं। इसी प्रकार राज्य वित्त में 9 करोड़ 80 लाख रुपये की राशि बीते वित्तीय वर्ष का अवशेष थी। चालू वित्तीय वर्ष में 34 करोड़ 40 लाख रुपये मिलने के बाद कुल 44 करोड़ 20 लाख रुपये हुई। इसकी तुलना में 35 करोड़ 58 लाख रुपये विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों में खर्च हुए। ऐसे में 8 करोड़ 62 लाख रुपये की राशि शेष है।
ग्रामीण बोले, विकास कार्यों की मिले अनुमति-
ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायतों में विकास कार्य इसलिए भी गति नहीं पकड़ पा रहे, क्योंकि पहले तो अधिकारियों व कर्मचारियों ने लापरवाही बरती, जबकि अब उच्चस्तर से ही कई प्रकार के कार्यों पर रोक लगा दी गई है। बसखारी निवासी दिवाकर यादव ने कहा कि सिर्फ पंचायत भवन व शौचालय निर्माण के लिए ही धन खर्च करने की इन दिनों छूट है। ऐसे में सड़क, नाली व प्रकाश आदि कार्यों पर जो खर्च किया जा सकता था, वह नहीं हो पा रहा है। मालीपुर निवासी देवेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि आने वाले दिनों में गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा, लेकिन इसकी परवाह प्रशासन को नहीं है। ग्राम पंचायत की निधि से पेयजल संबंधी कार्यों को करने की अनुमति नहीं है। यह स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। शासन प्रशासन को चाहिए कि वह पर्याप्त छानबीन के साथ सभी तरह के कार्यों में धन खर्च करने की छूट दे। भीटी निवासी विजयशंकर का कहना था कि शासन ने ग्राम पंचायतों में प्रशासक की तैनाती करने के साथ ही कई तरह के कार्यों के भुगतान आदि पर रोक लगा दी है। यह ठीक नहीं है। ग्राम पंचायतों में रकम पड़ी रह जाएगी, उससे कोई फायदा नहीं होगा।
पंचायतों को दिए गए निर्देश-
डीपीआरओ दुर्गा प्रसाद तिवारी का कहना है कि जो राशि शेष है, उसे पंचायत भवन व सामुदायिक शौचालय निर्माण के बाद आपरेशन कायाकल्प के तहत परिषदीय विद्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्य कराए जाने का निर्देश ग्राम पंचायतों को दिया गया है।
रिपोर्ट- अंबेडकर नगर डेस्क