सऊदी अरब में इस साल 100 लोगों को दे दी हैं फांसी, यह पहली बार है जब सऊदी अरब ने एक वर्ष में इतने अधिक विदेशियों को दी है फांसी, विदेशी नागरिकों में पाकिस्तान यमन सीरिया नाइजीरिया मिस्र जॉर्डन और इथियोपिया के नागरिक हैं शामिल, फांसी देने के मामले में चीन और ईरान के बाद सऊदी अरब तीसरे नंबर पर
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मानवाधिकार संगठन से मिली यें जानकारी
नई दिल्ली (ब्यूरो डेस्क)। सऊदी अरब में इस साल 100 से अधिक विदेशियों को फांसी दी गई है। समाचार एजेंसी एएफपी ने एक मानवाधिकार संगठन के हवाले से यह जानकारी दी है। पिछले तीन सालों की तुलना में यह आंकड़ा लगभग तीन गुना अधिक है।
फांसी की सजा पाए विदेशियों की संख्या 101
शनिवार को दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र नजरान में एक यमनी नागरिक को ड्रग्स की तस्करी के आरोप में फांसी दी गई। इसे बाद इस साल फांसी की सजा पाए विदेशियों की कुल संख्या 101 हो गई हैं। साल 2022 और 2023 में 34 विदेशी नागरिकों को सऊदी अरब ने फांसी की सजा दी है। यूरोपियन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स, ESOHR के कानूनी निदेशक ताहा अल-हज्जी ने बताया कि यह पहली बार है जब सऊदी अरब ने एक वर्ष में इतने अधिक विदेशियों को फांसी दी है।
منشیات سمگل کرنے پر اِس سال 100 سے زیادہ لوگوں کی گردنیں اڑادی گئیں۔
— Adeel (@Adeel_Raana) November 18, 2024
اُن میں سب سے زیادہ پاکستانی تھے!
اور یقیناً یہ "پاکستانی" اصل میں افغان "بھائی" ہیں، جن کے پاس پاکستانی پاسپورٹ ہیں۔ لیکن بدنام ہوتاہے پاکستان!https://t.co/PcJYvVbbid
फांसी देने के मामले में सऊदी तीसरे नंबर पर
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार फांसी देने के मामले में चीन और ईरान के बाद सऊदी अरब तीसरे नंबर पर है।
इन देशों के लोगों को दी गई फांसी की सजा
फांसी पाने वाले विदेशी नागरिकों में पाकिस्तान, यमन, सीरिया, नाइजीरिया, मिस्र, जॉर्डन और इथियोपिया के नागरिक शामिल हैं। पाकिस्तान से 21, यमन से 20, सीरिया से 14, नाइजीरिया से 10, मिस्र से नौ, जॉर्डन से आठ और इथियोपिया से सात शामिल हैं। सूडान, भारत और अफगानिस्तान से तीन-तीन और श्रीलंका, इरिट्रिया और फिलीपींस से एक-एक व्यक्ति को फांसी दी गई।
नहीं हो पाती प्रतिवादियों की निष्पक्ष सुनवाई
राजनयिकों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि विदेशी प्रतिवादियों की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती। सजा पाने वाले विदेशी नागरिक बड़े ड्रग डीलरों के शिकार बन जाते हैं। गिरफ्तारी के समय से लेकर फांसी तक आरोपियों को अपनी बात कोर्ट के सामने रखने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
रिपोर्ट- नई दिल्ली ब्यूरो डेस्क