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Chhath Puja 2024: आइए जानें छठ पूजा की सही तारीख और छठ पूजा का महत्व, जानें नहाय खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती हैं छठ पूजा के त्योहार की शुरुआत, यह एक ऐसा पर्व है जब डूबते सूर्य को दिया जाता हैं अर्घ्य, क्योंकि सनातन धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का हैं विधान, आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी पूरी जानकारी विस्तार से 

खबरें आजतक Live 

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भगवान सूर्य देव की होती हैं पूजा अर्चना

नई दिल्ली (ब्यूरो डेस्क)। र साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक छठ पूजा मनाई जाती है। इस पर्व के दौरान भगवान सूर्य देव की पूजा-अर्चना और अर्घ्य देने का विधान है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं विधिपूर्वक करती हैं।

कष्टों को दूर करने हेतु सूर्यदेव की होती है पूजा 

साथ ही पुरुष भी जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने के लिए भगवान सूर्य देव की उपासना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से जातक को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन खुशहाल होता है। ऐसे में आइए इस लेख में हम आपको बताएंगे इस साल छठ पूजा, नहाय खाय और खरना किस दिन किया जाएगा।

आइए जानें कब है छठ पूजा 2024 

पंचांग के अनुसार, छठ पूजा के पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। वहीं, इस त्योहार का समापन सप्तमी तिथि पर होता है। ऐसे में छठ महापर्व 05 नवंबर से लेकर 08 नवंबर तक मनाया जाएगा।

🔘 छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय किया जाता है। इस दिन स्नान और भोजन करने का विधान है। पंचांग के अनुसार, इस बार 05 नवंबर को नहाय खाय किया जाएगा।

🔘 छठ पूजा का दूसरा दिन खरना पूजा होती है। इस दिन महिलाएं नए मिट्टी के चूल्हे पर खीर बनाती हैं। इसके बाद उसे भोग के रूप में छठी मैया को अर्पित किया जाता है। इस दिन पूजा के बाद व्रत की शुरुआत होती है। इस बार खरना पूजा 06 नवंबर को है।

🔘 इसके अगले दिन यानी तीसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार 07 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

🔘 छठ पूजा के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण किया जाता है। इस पर्व का समापन 08 नवंबर को है।

जातक को छठी मैया की कृपा होती है प्राप्त

छठ पूजा के शुभ अवसर पर सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा, प्रत्युषा की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है। मान्यता है कि पूजा करने से जातक को छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है।

छठी मैया की पूजा का हैं विशेष महत्व

सनातन शास्त्रों छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। इसलिए छठ पूजा के दिन छठी मैया की पूजा का विशेष महत्व है।

यहां पर आप पा सकते हैं उचित परामर्श व निदान 

व्रत, त्यौहार, ज्योतिष, वास्तु, जन्मकुंडली एवं रत्नों से जुड़ें जटिल समस्याओं व उचित परामर्श के लिए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा से 8080426594 व 9545290847 पर सम्पर्क कर समस्याओं से निदान व उचित परामर्श प्राप्त किया जा सकता हैं।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय, लाभ, सलाह व कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। खबरें आजतक Live व खबरें आजतक Live फाउंडेशन यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों व दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। खबरें आजतक Live व खबरें आजतक Live फाउंडेशन अंधविश्वास के खिलाफ है।

रिपोर्ट- धर्म एवं ज्योतिष डेस्क

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