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धर्म-कर्म: कब हैं शारदीय नवरात्रि, क्या हैं कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, किस प्रकार करें कलश की स्थापना, आइए जानें इन सारे सवालों के जवाब

शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्लपक्ष के एकम प्रतिपदा तिथि से होता हैं आरम्भ, पुरे नौ दिनों तक देवी के अलग अलग रूपों की होती हैं पुजा व आराधना, स्थापित किया जाता हैं कलश

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एक ही दिन मनाया जायेगा अष्टमी और नवमी

नई दिल्ली (ब्यूरो डेस्क)। शारदीय नवरात्रि व्रत का आरम्भ हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्लपक्ष के एकम प्रतिपदा तिथि से आरम्भ होता है और पुरे नौ दिनों तक देवी के अलग अलग रूप की पुजा तथा आराधना की जाती है। माता के भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार एकम प्रतिपदा से लेकर नवमी तक बड़े धूम धाम से माता का पूजन करते है। साथ ही कलश स्थापित करते है। नवरात्रि में अपने शक्ति के अनुसार माता का पूजन करे। दुर्गा सप्तशी का पाठ करे। शारदीय नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना या किसी ब्राह्मण से पाठ करवाना बहुत ही पुण्यकारी होता है। इस वर्ष नवरात्रि का का आरंभ 03 अक्तूबर 2024 दिन गुरुवार को हो जायेगा। आपको बता दे कि इस वर्ष नवरात्रि में चतुर्थी तिथि का वृद्धि हुआ है और नवमी तिथि का क्षय हो गया है। इसलिए अष्टमी और नवमी तिथि एक दिन हीं मनाया जायेगा।

जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

03 अक्तूबर 2024 तिथि दिन गुरूवार सुबह से लेकर 03:17 मिनट दोपहर तक कलश स्थापना किया जायेगा। प्रतिपदा तिथि का आरम्भ 02 अक्तूबर 2024 दिन बुधवार रात्रि 11:05 से होंगा तथा प्रतिपदा तिथि 04 सितंबर 2024 रात्रि 01:01 मिनट पर समाप्त होगा। हस्त नक्षत्र 03 अक्तूबर 2024 दोपहर 03 :17 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त सुबह 11:14 से 12:02 दोपहर तक व अमृत काल सुबह 08:45 से 10:33 सुबह तक होगा।

आइए जानें कैसे करें कलश की स्थापना 

व्रत करने वाले सुबह में नित्य क्रिया से निवृत्त होकर साफ कपड़ा पहने। संभवतः नया वस्त्र लाल रंग का धारण करे। पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल छिडके। गंगा जी का थोडा मिटटी लाए या साफ जगह से मिटटी को लेकर उसमे जौ या सप्तधान्य को मिलाए। मिटटी का कलश रखे तथा उस पर स्वस्तिक बनाएं और लाल कपड़ा से कलश को लपेट दे। उसमे आम का पत्ता सुपारी, फुल, पैसा, दूर्वा व अक्षत डाले। उसके ऊपर नारियल में मौली लपेटकर कलश पर रखें। सामने छोटी चौकी पर लाल कपड़ा का आसन बिछाए। माता का प्रतिमा या फोटो रखे। उनको फुल, फल, सिंदूर व चन्दन लगाएं। अगरबती दिखाए तथा माता को भोग लगाये। फिर दुर्गा सप्तशती का पाठ करे या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।

घर में इन चीजों को रखें पूर्णतया वर्जित

अगर आप नवरात्रि में माता का पूजन कर रहे है। अपने घर पर कलश स्थापना किए है। इस अवधि में घर के अंदर मांस, मछली, मदिरा तथा तामसी वस्तुएं जैसे लहसुन, प्याज नही खाए, काला रंग का वस्त्र नही पहनें। नवरात्रि में किसी के साथ लेन देन वर्जित रखें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले चमड़े की वस्तु जैसे बेल्ट, पर्स व चप्पल का प्रयोग बिल्कुल नहीं करें।

यहा पर आप पा सकते हैं उचित परामर्श व निदान 

व्रत, त्यौहार, ज्योतिष, वास्तु, जन्मकुंडली एवं रत्नों से जुड़ें जटिल समस्याओं व उचित परामर्श के लिए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा से 8080426594 व 9545290847 पर सम्पर्क कर समस्याओं से निदान व उचित परामर्श प्राप्त किया जा सकता हैं।

रिपोर्ट- धर्म एवं ज्योतिष डेस्क 

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