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यूपी: निःशुल्क अनाज वितरण में ये घोटाला आया सामने, इन मृतकों को बंट रहा था अनाज, राशन लेते समय आप ना करें ये गलती, पड़ सकता है भारी

"बड़े पैमाने पर हो रहा कोटेदार व खाद्यान्न माफिया के सिंडिकेट का खेल, 17 मृतकों के नाम पर हर माह 170 किलो अनाज का कराया गया उठान, लेकिन अनाज का नहीं हुआ वितरण"

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वाराणसी (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। बनारस में पीएम सीएम योजना के तहत बंटने वाले निःशुल्क अनाज वितरण में घोटाला सामने आया है। चोलापुर ब्लॉक के मोहनदास पुर गांव में करीब तीन वर्ष से ऐसे लोगों को अनाज बंटता रहा जिनकी मौत हो चुकी है। अभी तक 17 मृतकों के नाम सामने आए हैं। जिला पूर्ति अधिकारी उमेश कुमार मिश्र का कहना है कि यदि परिवार में किसी सदस्य की मौत हो जाती है, तो कार्ड धारक को खुद आगे आकर नाम कटवाना चाहिए। कोटेदार ई-पॉस मशीन पर कार्डधारक का अंगूठा लगाकर अनाज लेता है। इसलिए मृतक के नाम पर कार्डधारक खुद अनाज लेता होगा। फिलहाल साफ नहीं है कि मृतकों का अनाज परिवार के सदस्य ही लेते रहे हैं या कोटेदार अपने पास रखकर बेचता रहा है। मोहनदास पुर के वीरेंद्र कुमार सिंह ने 27 अप्रैल को डीएम से मृतकों के नाम पर अनाज आवंटन की शिकायत की थी। आरोप था कि गांव की शांति देवी, अंबिका, नंदलाल, सुरेन्द्र चौबे, श्यामबला, वीरेंद्रनाथ चौबे, जयशंकर, रामदुलार सहित 17 लोगों की मृत्यु अलग-अलग समय पर हो गई है, लेकिन उनके नाम पर आज भी अनाज का उठान चल रहा है।

डीएम एस राजलिंगम ने 28 अप्रैल को मामले की जांच बीडीओ को सौंपी। बीडीओ को जांच में शिकायत सही मिली, उन्होंने जांच रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक कोटेदारों ने बताया है कि लाभार्थियों के नाम काटने की व्यवस्था जिले स्तर पर होती है। अनाज का वितरण ई-पॉश मशीन से ऑनलाइन अंगूठा लगाकर किया जाता है। इसमें कार्डधारक का अंगूठा लगता है। इसलिए एक व्यक्ति के मरने पर यह वितरण रोका नहीं जा सकता है। पीएम व सीएम अन्न योजना के तहत पांच-पांच किलो अनाज वितरण की व्यवस्था है। इस हिसाब से 17 मृतकों के नाम पर हर माह 170 किलो अनाज का उठान कराया गया। लेकिन उसका वितरण नहीं हुआ। इस हिसाब से 6000 किलो से अधिक अनाज का घालमेल हो चुका हैं। उधर कार्डधारकों का कहना है कि कोटेदार मृतकों के परिवार को उतना ही खाद्यान्न देता है, जितने लोग जिंदा हैं। परिवार के मृत सदस्य के नाम से अनाज नहीं दिया जाता है, जबकि अनाज का उठान मृतकों के भी नाम पर हो रहा है। माना जा रहा है, कि इसके पीछे कोटेदार व खाद्यान्न माफिया का सिंडिकेट बड़े पैमाने पर सक्रिय है।

रिपोर्ट- वाराणसी ब्यूरो डेस्क

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