"रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का सबसे अधिक हैं महत्व, रक्षाबंधन भाई व बहन के रिश्ते का हैं प्रसिद्ध त्योहार, सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह त्योहार"
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नई दिल्ली (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। यह त्योहार सावन की पूर्णिमा को मनाया जाता है यह त्योहार भाई व बहन के स्नेह की डोर में बांधने वाला त्योहार है। इस दिन बहन भाई के हाथ में रक्षा बाधती है तथा उनकी मंगल कमाना के लिए चंदन का टिका लगाती है। रक्षा बंधन का अर्थ है (रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का सबसे अधिक महत्व है। रक्षाबंधन भाई व बहन के रिश्ते का प्रसिद्ध त्योहार है। राखी सामान्तः बहने भाई को ही बाधती है। परन्तु ब्राह्मणों गुरुओ और परिवार में छोटी लड़की द्वारा सम्मानित सम्बंधित के रूप में जैसे (पुत्री अपने पिता को) प्रतिष्ठित व्यक्ति को राखी बाधी जाती है। गुरु शिष्य को राखी बांध सकते है। राखी बांधने के उपलक्ष्य में भाई अपने बहन को खुश करने के लिए कुछ भेट में उपहार देते है, जिसे भाई बहन के प्यार और मजबूत बनता है। विवाह के बाद भी बहन भाई के घर जाकर अपने स्नेह के बंधन राखी को अपने भाई के कलाई में बंधती है। इसलिए इस दिन को बहने बड़ी बेसब्री से इंतजार करती है।
इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार पूर्णिमा तिथि का शुरुआत 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार सुबह 10:13 मिनट से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि का समाप्ति 31 अगस्त 2023 दिन गुरुवार सुबह 07:46 मिनट तक रहेगा। रक्षाबंधन कब मनाये इस बात को लेकर शंका बना हुआ है। रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार समय रात्रि 08 :47 के बाद रक्षाबंधन किया जाये तो शुभ रहेगा तथा 31अगस्त दिन गुरुवार इस दिन पूर्णिमा पड़ रहा है, जो रक्षाबंधन के लिए शुभ समय 07:46 मिनट तक है इस समय तक रक्षाबंधन किया जायेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा योग बन रहा है। भद्रा का शुरुआत 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार सुबह 10 :13 मिनट से शुरू होकर भद्रा काल की समाप्ति 30 अगस्त 2023 दिन बुधवार रात्रि 08 :47 मिनट तक रहेगा। भद्रा का समय रक्षाबंधन करना निषिद्ध माना गया है। सभी शुभ कायो के लिए भद्रा का त्याग करना चाहिए। भद्रा के पूर्व अर्ध भाग में व्याप्त रहती है। अतः भद्रा काल में रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए यह समय शुभ कार्यो के लिए शुभ नहीं होता है।
रक्षाबंधन कैसे मनाना चाहिए इस बारे में जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा बताते हैं कि एक थाली ले। उसमें रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र और मिठाई रखें। साथ में देसी घी का दीपक भी प्रज्ज्वलित करके रखे पूजा का थाली तैयार करके सर्वप्रथम भगवान को समर्पित करें। इसके उपरांत भाई को पूरब या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर के बैठाएं। सर्वप्रथम भाई का तिलक करें फिर रक्षासूत्र बांधने के उपरांत आरती करें। तदोपरांत मिठाई खिलाकर भाई की मंगलकामना करें। यहां ध्यान रखने योग्य बात यह है रक्षासूत्र बांधने के समय भाई-बहन का सिर खुला हुआ नहीं होना चाहिए तथा रक्षासूत्र बांधने के उपरांत अपने माता पिता एवं गुरु का आशीर्वाद लें। तत्पश्चात अपनी बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार देना चाहिए। ज्योतिष, वास्तु एवं रत्नों से जुड़ें समस्याओं व उचित परामर्श के लिए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा से 8080426594 व 9545290847 पर सम्पर्क कर समस्याओं से निदान व उचित परामर्श प्राप्त किया जा सकता हैं।
रिपोर्ट- लखनऊ ब्यूरो डेस्क