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आइए जाने भारत देश का एक ऐसा प्राचीन मंदिर, जहां टपकने वाली बूंदे देती है मानसून का संकेत, इस रहस्य से आज तक कोई नहीं उठा पाया पर्दा

"मंदिर से पानी टपकना हैरतअंगेज, वैज्ञानिक भी नही बता सके कारण, अद्भुत नक्काशी से बना है मंदिर, बरसात के दौरान मंदिर के भीतर एक बूंद भी पानी न आना किसी अजूबे से कम नही"

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घाटमपुर (कानपुर, उत्तर प्रदेश)। मौसम विभाग भले ही मानसून के समय से आने, न आने के कयास लगा रहा हो, लेकिन कानपुर जिले में एक ऐसा मंदिर है जो मानसून आने का संकेत देता है। आंधी-बारिश को लेकर मौसम विभाग से खबर मिलने में भले ही कुछ देरी हो जाए लेकिन इस मंदिर की बूंदों से लोगों को मौसम का आभास हो जाता है। मौसम विभाग की ओर से जून में भीषण गर्मी पड़ने की आशंका जताई है तो वहीं मानसून आने में कुछ समय की बात कही गई है। भीतरगांव विकास खण्ड के बेहटा बुजुर्ग गांव स्थित भगवान जगन्नाथ के प्राचीन मंदिर ने मानसून आने की जानकारी दे दी है। सुनने में थोड़ा अजीब जरुर लगता है लेकिन यह सच है। प्राचीन मंदिर के के गुंबद के एक भाग से गर्भगृह में बीते एक सप्ताह से पानी की बूंदे टपकना शुरु हो चुकी हैं, जो मानसून के आने का संकेत देती हैं। मंदिर की यह विशेषता वर्तमान में मौसम वैज्ञानिकों के साथ-साथ देश विदेश के वैज्ञानिकों के लिए किसी अजूबे से भी कम नही है। मंदिर में टपकने वाली बूंदों का आकार मानसून में होने वाली बरसात का आकलन भी देती हैं। इस ऐतिहासिक मंदिर के गर्भगृह के भीतर भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ बहन सुभद्रा की काले पत्थर की मूर्तियां स्थापित हैं। पुरातत्व विभाग से संरक्षित इस मंदिर के निर्माण को लेकर इतिहास कारों के कई मत हैं।

बौद्व स्तूप की शैली से निर्मित मंदिर को 11 वीं शताब्दी के आसपास का माना जाता है। गर्भगृह के भीतर व बाहर की गयी नक्काशी मंदिर को दूसरी व चौथी सदी का होने का दावा करती है। वहीं कुछ इतिहासकार मंदिर के कुछ कलाकृतियों को देखकर इसे चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल का होने की बात कहते हैं। जगन्नाथ मंदिर में मानसून से पहले पानी टपकना व बरसात के दौरान मंदिर के भीतर एक बूंद भी पानी न आना किसी अजूबे से कम नही है। समय-समय से देश व विदेशों से आने वाले वैज्ञानिक भी इस अजूबे को पता लगाने में नाकाम रहे हैं। मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला कहते हैं कि सात पीढ़ियों से वह इस मंदिर में पुजारी हैं और कई बार पुरातत्व विभाग, आईआईटी समेत विदेश से वैज्ञानिक आ चुके हैं, लेकिन पानी टपकने का रहस्य आज भी बरकरार है। वह बताते हैं कि मंदिर से टपकने वाली बूंदों के आकार को देखकर पता चलता है कि मासनून अच्छा रहेगा कि कमजोर। बीते दो दिनों से मंदिर के गुंबद से पानी टपकना शुरु हो चुका है और बूंदों का आकार अच्छी बारिश का संकेत दे रहा है। भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर जिस भी काल में बना हो लेकिन इसमें जो भी कलाकृतियां व नक्काशी की गयी है वह अद्भुत है। मंदिर के गुंबद में कुछ पत्थर लगे हैं, जिनसे ही मानसून से पहले पानी टपकना शुरु हो जाता है और पूरे देश में इस मंदिर को मानसून मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

रिपोर्ट- कानपुर ब्यूरो डेस्क

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