"12 जनवरी दिन गुरुवार को युवा दिवस पर करीब डेढ़ किमी की दूरी पर भाजपा के दो कद्दावर नेताओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम आम जनमानस के मन में छोड़ गया कई अनुत्तरित प्रश्न"
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सिकन्दरपुर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। सबका साथ सबका विकास के नारे साथ युवा भारत के निर्माण का आधारशिला रखने वाली भाजपा ही अपनों को साथ लेकर चलने में नाकाम साबित होती दिख रही है। ये मैं नही विधानसभा सिकन्दरपुर की राजनीति कह रही है। 12 जनवरी दिन गुरुवार को युवा दिवस पर करीब डेढ़ किमी की दूरी पर भाजपा के दो कद्दावर नेताओं द्वारा आयोजित कार्यक्रम आम जनमानस के मन में कई अनुत्तरित प्रश्न छोड़ गया है। इसके पूर्व की खेमे बाजी के कारण सतह पर आई अंदरूनी रार को रेखांकित करें तो दोनो कार्यक्रमों की पूरी पटकथा को विस्तार से समझना बहुत जरूरी है। जलपा कल्पा की नगरी स्थित गांधी इंटर कालेज के प्रांगण में पूर्व विधायक संजय यादव के संरक्षकत्व में प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया तो दूसरी ओर जूनियर हाई स्कूल के प्रांगण में पूर्व मंत्री व भाजपा के वरिष्ट नेता राजधारी सिंह की अगुवाई में विचार गोष्ठी आयोजित थी। गांधी इंटर कालेज में युवा भारत के भावी कर्णधारों को सम्मानित करने के लिए सजे मंच पर पार्टी के कई दिग्गज नेता मौजूद थे, जिनके सानिध्य से प्रतिभा सम्मान की नई परंपरा को बल मिल रहा था तो दूसरी ओर भारतीय राजनीति के लब्ध प्रतिष्ठित व्यक्तित्व अपने संदेशों से ढाई दशक पुरानी रवायत को पल पल ऊर्जा प्रदान कर रहे थे।
बहरहाल दोनो ही कार्यक्रम अपने आप में बेहद ही खास रहे। युवा भारत के सपने को साकार करने उतरा युवाओं का दल अपने लक्ष्य में सफल होता दिखा तो उधर बुजुर्गों की टोली भी अनुभव और ज्ञान का पुट परोस अपनी अहमियत को एक बार फिर साबित कर दिया। नि: संदेह दोनों का अपना अपना महत्व है और किसी को कमतर नहीं आंका जा सकता। लेकिन केसरिया बैनर तले चंद फर्लांग पर आयोजित दो कार्यक्रमों ने पार्टी के अंदर "ऑल इज वेल" न होने का संदेश भी दिया। अब तक पर्दे की पीछे रही राजनीतिक रार 2023 की शुरुआत में ही सतह पर आती दिखी। जो चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। लोगबाग यह समझ नही पा रहे हैं कि आखिर किन परिस्थितियों ने राजनीतिक ध्रुवीकरण की पक्षधर भाजपा को भी कई खेमों में बांट दिया है। लोगों के बीच यह भी चर्चा रही कि यदि यही स्थिति रही तो इसका सीधा असर नगर निकाय चुनाव पर पड़ेगा। कनिष्ठ और वरिष्ठ की गहराती रेखा कहीं पार्टी का बंटाधार न कर दे। बहरहाल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से जुड़ा मसला होने कारण हर कोई सपाट टिप्पणी से बचता रहा। पर स्वामी जी आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प दोहराने वाले भाजपाइयों को लोगबाग दबी जुबां आईना भी दिखाते रहे।
रिपोर्ट- विनोद कुमार गुप्ता