"जिन बेटों ने उन्हें लावारिस मरने के लिए छोड़ दिया था, उन्हीं की एक झलक देखने को अंतिम सांस तक बेकरार रहीं मां, मां के मौत के बाद भी उनके दोनों बेटे नहीं पहुंचे अपनी मां के अंतिम संस्कार में"
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रतसर (बलिया, उत्तर प्रदेश)। कड़ाके की ठंड में दर्द से कराहती 62 साल की फूलझरिया देवी ने रविवार तड़के आखिरकार दम तोड़ ही दिया। यह मां की ममता ही थी, जिन बेटों ने उन्हें लावारिस मरने के लिए छोड़ दिया था। उन्हीं की एक झलक देखने को वे अंतिम सांस तक बेकरार रहीं। उनकी मौत पर गांव के लोगों में गम का माहौल था और बेटों के प्रति उतना ही तेज गुस्सा। मां के मौत के बाद भी उनके दोनों बेटे अपनी मां के अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचे। ग्राम प्रधान युगल किशोर यादव ने ग्रामीणों की मदद से मुखाग्नि दिलाई । गड़वार थाना क्षेत्र के बहादुरपुर कारी गांव में सुबह से ही मातम था। ग्राम प्रधान युगल किशोर के मुताबिक रामसकल गुप्ता के दो पुत्र राजेश गुप्ता एवं टुनटुन गुप्ता है। कुछ वर्ष पूर्व फूल झरिया देवी के पति राम सकल की मौत हो गई। पति के मौत के बाद फूल झरिया देवी पूरी तरह से टूट चुकी थी, जब कि मां से दोनों बेटों ने किनारा कर लिया। हालांकि पति के मरने के बाद पिता की जायदाद में दोनों बेटों को साथ ही एक हिस्सा मां को भी मिला था।
मृतका अपना जीवन निर्वहन छोटे बेटों में रहकर किसी तरह से जीवन यापन करती थी। इस बात को लेकर बड़ा बेटा नाराज रहता था, जबकि छोटा बेटा दिव्यांग होने के साथ ही हमेशा शराब के नशे में डूबा रहता था। मुफलिसी के दौर में मां का किसी तरह से जीवन यापन करता था। रविवार की सुबह आखिर कार फूलझरिया देवी ने दम तोड़ दिया। मौत के बाद मुखाग्नि देने एवं अंतिम संस्कार करने से दोनों बेटों ने इन्कार कर दिया। गांव वालों के लाख मनाने के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए तैयार नही हुए। अन्त में ग्राम प्रधान ने ग्रामीणों के सहयोग से मृतका का अंतिम संस्कार गांव स्थित नवनिर्मित मथुरा मुक्तिधाम में कराया। साथ ही मृतका की तेरहवी का भी इंतजाम अपने स्तर से करने की व्यवस्था की। अंतिम संस्कार में पूर्व प्रधान हरिनारायण पासवान, धनंजय सिंह, मनोज वर्मा, देवेन्द्र यादव, बब्बन यादव आदि लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट- संवाददाता अभिषेक पाण्डेय