"जन्म पत्रिका में मंगल यदि राहू या शनि से युति बना रहा हो तो होती हैं प्रेम-विवाह की संभावना, जब राहू प्रथम भाव यानी लग्न में हो परंतु सातवें भाव पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो तो व्यक्ति परिवार के विरुद्ध जाकर प्रेम-विवाह की तरफ होता हैं आकर्षित"
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नई दिल्ली (ब्यूरो)। प्रेम विवाह ज्योतिष शास्त्र में में एक महत्वपूर्ण विषय बन जाता है। इसकी प्रथा बहुत पहले से चल रही है, लेकिन आज कल प्रेम विवाह करने के पहले अपनी जन्म कुंडली कोई अच्छे जानकार पंडित से दिखा कर करे तो उत्तम होता है। नही तो कई लोगो को यह भी देखा जाता है कि विवाह के पहले दोनो में खूब प्यार बना रहता है, लेकिन विवाह के कुछ दिन के बाद सब रिश्ते में करवाहट बन जाता है। एक दूसरे में दूरी बढ़ जाती है, जो अच्छी चलती तथा खुशियों से भरा जीवन नरक बन जाता है। आइए जाने की आपके कुंडली में प्रेम विवाह का ज्योतिषीय योग कैसे बनता हैं। इस बारें मे विस्तार से बता रहें हैं प्रख्यात ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जन्म पत्रिका में मंगल यदि राहू या शनि से युति बना रहा हो तो प्रेम-विवाह की संभावना होती है। जब राहू प्रथम भाव यानी लग्न में हो परंतु सातवें भाव पर बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो तो व्यक्ति परिवार के विरुद्ध जाकर प्रेम-विवाह की तरफ आकर्षित होता है। जब पंचम भाव में राहू या केतु विराजमान हो तो व्यक्ति प्रेम-प्रसंग को विवाह के स्तर पर ले जाता है। जब राहू या केतु की दृष्टि शुक्र या सप्तमेश पर पड़ रही हो तो प्रेम-विवाह की संभावना प्रबल होती है।
पंचम भाव के मालिक के साथ उसी भाव में चंद्रमा या मंगल बैठे हों तो प्रेम-विवाह हो सकता है। सप्तम भाव के स्वामी के साथ मंगल या चन्द्रमा सप्तम भाव में हो तो भी प्रेम-विवाह का योग बनता है। पंचम व सप्तम भाव के मालिक या सप्तम या नवम भाव के स्वामी एक-दूसरे के साथ विराजमान हों तो प्रेम-विवाह का योग बनता है। जब सातवें भाव का स्वामी सातवें में हो तब भी प्रेम-विवाह हो सकता है। शुक्र या चन्द्रमा लग्न से पंचम या नवम हों तो प्रेम विवाह कराते हैं। लग्न व पंचम के स्वामी या लग्न व नवम के स्वामी या तो एकसाथ बैठे हों या एक-दूसरे को देख रहे हों तो यह प्रेम-विवाह का योग बनाते हैं। सप्तम भाव में यदि शनि या केतु विराजमान हों तो प्रेम-विवाह की संभावना बढ़ती है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जब सातवें भाव के स्वामी यानी सप्तमेश की दृष्टि द्वादश पर हो या सप्तमेश की युति शुक्र के साथ द्वादश भाव में हो तो प्रेम-विवाह की उम्मीद बढ़ती है। व्रत, त्यौहार, ज्योतिष, वास्तु एवं रत्नों से जुड़ें जटिल समस्याओं व उचित परामर्श के लिए ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा से 8080426594 व 9545290847 पर सम्पर्क कर समस्याओं से निदान व उचित परामर्श प्राप्त किया जा सकता हैं।
रिपोर्ट- नई दिल्ली डेस्क