"यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग में इस महीने से कई चीजें हो जाएंगी ऑनलाइन, टीचर्स को अब अपने छोटे-छोटे कामों के लिए दफ्तरों के नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर, पीएफ सहित कई सारे काम हो जाएंगे ऑनलाइन"
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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर्स और कर्मचारियों के सैलरी, पीएफ वगैरह से सम्बन्धित सभी काम ऑनलाइन हो जाएंगे। कहा जा रहा है कि इससे भ्रष्टाचार तो रुकेगा ही शिक्षकों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर भी नहीं काटने पड़ेंगे। तय समय में काम पूरे करने के लिए जिम्मेदारों की जवाबदेही भी तय हो जाएगी। मानव संपदा पोर्टल पर इसे भी शुरू किया जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग में विशेषकर शिक्षकों के वित्तीय कार्यों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार व्याप्त है। शिक्षकों को न तो सम्बंधित मदों की जानकारियां हो पाती हैं और न ही उनके भुगतान आसानी से हो पाते हैं। यदि हो भी जाते हैं तो वह सामान्य प्रक्रिया से नहीं बल्कि विशेष प्रक्रिया के माध्यम से ही होते हैं। भुगतान चाहें जीपीएफ से एडवांस का हो या किसी एरियर का, सामान्य प्रक्रिया में वर्षों लग जाते हैं, जिस तरह से मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से वेतन और अवकाश को आसान बनाया गया है। उसी तरह से मानव संपदा पोर्टल पर एक रिक्वेस्ट बेस्ड टैब विकसित किए जाने का प्रस्ताव एनआईसी को भेज दिया गया है। इसमें सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) से एडवांस, चयन वेतनमान, प्रोन्नत वेतनमान, अन्य सभी एरियर के लिए आवेदन इसी पोर्टल के माध्यम से करने होंगे। प्रक्रिया पहले से तय होगी। जीपीएफ में तो कई तरह के एडवांस लिए जा सकते हैं।
इसे लेने के लिए शिक्षकों और कर्मचारियों को वर्षों लग जाते हैं। दस वर्ष पूरे होने पर चयन वेतनमान और 22 वर्ष की सेवा पूरा होने पर प्रोन्नत वेतनमान के लिए वर्षों प्रतीक्षा करनी पड़ती है। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ कानपुर के जिलाध्यक्ष योगेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि नई प्रक्रिया से शिक्षकों को लाभ मिलेगा लेकिन अधिकारियों के स्तर से रिजेक्शन के कारण स्पष्ट होना चाहिए। मानव संपदा पोर्टल पर अवकाश आसान हो गया, लेकिन चाइल्ड केयर लीव के ऑनलाइन आवेदन के बाद भी खंड शिक्षा अधिकारी शिक्षक से भेंट के बिना अवकाश नहीं मिल पाता। वित्तीय पोर्टल पर इसे रोकने के लिए सख्त नियम बनाने होंगे। मुख्य बिंदु की बात करें तो चयन वेतनमान दस वर्ष में मिल जाना चाहिए। पर 20 फीसदी शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें दस वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद भी अब तक वेतनमान नहीं मिला है। ऐसे शिक्षकों की संख्या अधिक है। प्रोन्नत वेतनमान की स्थिति बेहद खराब है। 50 फीसदी से ज्यादा शिक्षकों को प्रोन्नत वेतनमान लगने का इंतजार है। शिक्षक के 22 वर्ष की सेवा पूरी होने पर 20 फीसदी शिक्षकों के लिए यह स्वतः लग जाना चाहिए। ऐसे रिटायर शिक्षकों की संख्या अधिक है जिन्हें अपने जीपीएफ की पूरी धनराशि चार से पांच साल बीतने के बाद भी नहीं नहीं मिली है। जीपीएफ ऑनलाइन न होने से शिक्षकों को पता ही नहीं कि उनका कितना धन जमा है।
रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क