"नाव डूबने की खबर मिलते ही आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ पहुंच गई घाट पर, सबकी निगाहें टिकी थीं उफनाती यमुना नदी पर, अपनों की तलाश में पहुंचे लोग बिलखते रहे, तमाम लोग यमुना नदी के किनारे छानते रहे"
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फतेहपुर (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। कहते हैं यमुना मृत्यु के देवता यम की बहन हैं। इस बहन ने ही कई बहन-भाइयों का रक्षाबंधन सूना कर दिया है। भाई इस तट पर खड़े होकर बहनों का इंतजार कर रहे थे। बहन उस तट से फोन पर बता रही थीं कि अब वह नाव में सवार हो गई हैं। नाव चल पड़ी है। इधर बहन को लेने आए भाई देख रहे थे कि अचानक तेज हवा चलने लगी। नाव का पाल तन कर फूल गया फिर नाव डगमगाई, शोर मचा और देखते ही देखते नाव डूब गई। भाई बेबस इस तट पर चीखते रह गए। कठौता निवासी गोरेलाल अपनी बहन मरका निवासी उजेरिया को लेने इस पार खड़े थे। कुछ देर पहले ही उन्होंने फोन पर भांजे को मां के साथ आने से मना किया था। कहा था- मैं दीदी को लेने खुद तट पर आ गया है। भांजा, उसकी बात मानकर घर वापस लौट गया। उजेरिया को लेकर नाव यमुना का करीब आधा रास्ता कर चुकी थी। गोरेलाल खुश था कि कुछ ही देर में बहन उसके साथ होगी। रक्षाबंधन पर उसकी कलाई पर राखी सजेगी। गोरेलाल ने बताया कि अचानक नाव तेज हवा में असंतुलित होने लगी। नाव में लगा पाल तेज हवा में फूला फिर गिरने लगा।
नाव असंतुलित होकर डूबने लगी। कुछ लोगों ने नाव से छलांग लगा दी तो कुछ को मौका ही नहीं मिला। गोरेलाल ने कहा की नाव में करीब 50 लोग रहे होंगे। देखते-देखते नाव में बैठे लोग यमुना में समा गए। बहन उजेरिया भी डूब गई। नाव में कई बहनें थीं जो इस पार के भाइयों को राखी बांधने आ रही थीं। गोरेलाल देर रात तक यमुना तट पर बिलख रहे हैं। उनका इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। सोनू गुप्ता ने बताया कि हादसे के समय वह निर्माणाधीन पुल के नीचे था। जैसे ही उसने नाव को डूबते देखा, वह अपने साथी के साथ नाव लेकर घटना स्थल पर पहुंचना चाहता था लेकिन उसके पहुंचने से पहले ही नाव डूब गई। रामनगर कौहन के राजेन्द्र सिंह बताते हैं कि उनकी पत्नी राजरानी मरका से आ रही थी। राजरानी गुरुवार सुबह ही अपनी बेटी को छोड़ने मरका गई थी। हादसा होने की खबर सुनकर राजेन्द्र मौके पर पहुंचे। उनकी आंखें नम थीं और निगाहें यमुना की ओर बार बार झांक रही थीं, मानो वह कालिंदी से शिकायत कर रहे हों। नाव डूबने की खबर मिलते ही आसपास के गांवों के लोगों की भीड़ घाट पर पहुंच गई।
सबकी निगाहें उफनाती यमुना नदी पर टिकी थीं। अपनों की तलाश में पहुंचे लोग बिलखते रहे। तमाम लोग यमुना नदी के किनारे छानते रहे। अपनों के खोने के डर से ज्यादातर परिजनों के चेहरे मुरझाए नजर आए। अपनों की तलाश के लिए जिनको तैरना आता था, उसने नदी में छलांग भी लगाई, लेकिन खाली हाथ लौटे। यमुना में नाव डूबने की खबर जंगल में आग की तरह फैली। मरका और आसपास के गांवों के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। जिन घरों के लोग नाव से नदी पार करने के लिए निकले थे, वे दहाड़े मारते हुए नदी तट पहुंचे। नदी के बहाव की दिशा में दौड़ लगाते हुए अपनों की तलाश में किनारे छानते रहे। उम्मीद थी तेज बहाव में डूबे लोग किनारे लग सकते हैं। इस बीच कई युवा तैराकों ने डूबे लोगों की तलाश में छलांग भी लगाई लेकिन तेज बहाव होने के कारण बीच मझधार में जाने की हिम्मत न जुटा पाए। लोग नदी में डूबे लोगों तलाश में लगी। एसडीआरएफ टीम को आवाज लगाते रहे। इस दौरान कई महिलाएं दहाड़े मारते हुए गश खाकर गिर पड़ीं। महिलाओं की चीत्कार नदी तट पर गूंजती रही।
रिपोर्ट- फतेहपुर डेस्क