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यूपी: योगी सरकार ने किसानों को दी यें बड़ी राहत, गेहूं खरीद में खत्म हुई आधार सत्यापन की अनिवार्यता, अब यहां भी गेहूं बेच सकते हैं किसान

"धान खरीद में बहुत से किसानों पर पीएफएमएस सत्यापन न होने के कारण फंस गया था पैसा, इसे देखते हुए सरकार ने गेहूं की खरीद से पहले ही आधार सत्यापन का अनिवार्यता को किया समाप्त"

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लखनऊ (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। गेहूं खरीद से पहले किसानों के आधार सत्यापन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। यानी गेहूं बेचने के दौरान किसानों के ईपॉप मशीन पर अंगूठे के मिलान में कोई दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन किसानों को अपने बैंक खाते से आधार लिंक कराना ही होगा। यही नहीं बैंक के जरिए एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) पोर्टल से भी खाते को लिंक कराना होगा। ऐसा नहीं किया तो गेहूं का पेंमेट खाते में नहीं जाएगा। पहली बार गेहूं खरीद के रजिस्ट्रेशन के साथ ही किसान के बैंक खाते का पीएफएमएस पोर्टल से सत्यापन की प्रक्रिया शुरू हो जाती थी। इससे जिन किसानों का आधार लिंक नहीं होता, बिक्री के दौरान उनका अंगूठा ई-पॉप मशीन पर नहीं लगता। बिक्री न होने से किसान परेशान थे। इसे देखते हुए सरकार ने बिक्री से पहले सत्यापन की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी बताते हैं कि इसका मतलब यह नहीं है कि आधार का सत्यापन नहीं होगा। किसानों को अपने बैंक में आधार लिंकेज जरूर कराना होगा। साथ ही बैंक से कह कर एनपीसीआई से भी लिंक कराना होगा। आधार लिंक नहीं होगा तो पेमेंट फंस जाएगा। धान खरीद में बहुत से किसानों पर पीएफएमएस सत्यापन न होने के कारण पैसा फंस गया था। इसे देखते हुए सरकार ने गेहूं की खरीद से पहले ही आधार सत्यापन का निर्णय लिया। लेकिन इससे गेहूं खरीद प्रभावित होता देख सरकार ने खरीद पूर्व सत्यापन की अनिवार्यता समाप्त कर दी। सीमावर्ती जिले के किसान दूसरे जिले में अपना गेहूं बेच सकते हैं। अभी तक इसके लिए जिलाधिकारी की अनुमति की जरूरत होती थी। अब किसान बिना अनुमति के ही दूसरे जिले के सरकारी क्रय केन्द्रों पर गेहूं बेच सकते हैं।

रिपोर्ट- लखनऊ डेस्क

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