"मॉस्क, दो गज की दूरी और हाथों की स्वच्छता के साथ बरतनी होगी कई महत्वपूर्ण सावधानियां, ड्रॉपलेट्स के जरिये कोरोना के प्रसार को रोकना समुदाय के सहयोग से ही संभव"
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गोरखपुर (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। कोरोना कर्फ्यू समाप्त होते ही लोगों का घर से बाहर निकलना शुरू हो गया है। कोरोना के मामले भले ही कम हो रहे हैं लेकिन घर के भीतर और बाहर के व्यवहार में सावधानीं नहीं बरती गई तो फिर से संक्रमण को प्रसार का मौका मिल सकता हैं। मॉस्क, दो गज की दूरी और हाथों की स्वच्छता के नियम का सख्ती से पालन करते हुए कुछ और व्यवहार अपनाने होंगे ताकि घर-परिवार व समाज कोविड से सुरक्षित बना सकें। उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुनीता पटेल का कहना है कि घर के भीतर व बाहर खांसने, छींकने और थूकने की आदतों में बदलाव लाना होगा। इन तीनों क्रियाओं में असावधानी से ड्रॉपलेट्स (निकलने वाली बूंदों) के जरिये कोरोना का प्रसार होता है जिसे रोकने के लिए समुदाय का सहयोग आवश्यक है। उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी का कहना है कि घर के बाहर हैं तो मॉस्क के भीतर ही खांसना और छींकना है। अगर घर के भीतर हैं और मॉस्क नहीं लगाए हैं तो रूमाल, टिश्यू पेपर और कुहनियों का सहारा लेकर खांसना या छींकना है। रूमाल और टिश्यू पेपर को कागज में लपेट कर ही फेंकना है।
ध्यान रहे कि जिस मॉस्क का प्रयोग कर आप खांस या छींक रहे हैं, उसका इस्तेमाल कोई अन्य न करे। अगर वह कपड़े का मॉस्क है तो धुल लेंगे और अगर थ्री लेयर सर्जिकल मॉस्क है तो कागज में लपेट कर 48-72 घंटे बाद डस्टबिन में फेंकेंगे। जो लोग घर से बाहर जा रहे हैं, घर में आने के बाद अवश्य नहा लें। घर के भीतर खांसते और छींकते समय इन नियमों का अवश्य पालन करें अन्यथा आपके घर के बच्चे और बुजुर्ग कोविड से बीमार हो सकते हैं। श्रीमती पटेल ने बताया कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकना प्रतिबंधित है और इस पर जुर्माने का भी प्रावधान है। थूक के जरिये ड्रॉपलेट्स खुले में जाता है और यही ड्रॉपलेट्स प्रत्यक्ष या परोक्ष माध्यम से दूसरे को वायरस दे देते हैं। कानूनी प्रावधानों के अलावा यह सभी का सामुदायिक दायित्व है कि खुले में न थूकें। अगर किसी को कफ की समस्या है तो वह कफ को मिट्टी या राख से ढंक दें। तम्बाकू आदि का सेवन करके खुले में थूकना भी खतरनाक है और इससे कोविड का प्रसार होता है। अगर गलती से कहीं थूक दिया है तो उसे मिट्टी से ढंक दें या फिर ऊपर से राख डाल दें। अगर सभी लोग इन व्यवहारों को अपनाएं तो कोविड के मामले फिर से नहीं बढ़ेंगे और समुदाय सुरक्षित रहेगा।
रिपोर्ट- गोरखपुर डेस्क