इस रक्षा बंधन पर शपथ ले कि हम प्रत्येक व्यक्ति एक-एक पेड़ लगाएंगे और उसकी रक्षा भी करेंगे। तभी जाकर वास्तव में रक्षाबंधन का यह पर्व चरितार्थ होगा।
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इनके प्रति एक इंसानियत का रिश्ता तो रखा जा सकता है, जो मानव के सिवाय किसी के बस का नहीं है। जो भी इस संसार में है सांस लेते हुए जहरीली गैस कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। वहीं ये वृक्ष उसे लेकर अपना भोजन बनाते हैं और पूरे जीव जगत को ऑक्सीजन देते हैं वो भी बिल्कुल मुफ्त में जिसके बिना एक पल भी जीना मुश्किल होगा। वृक्षों को हम देव रूप में स्वीकार कर इनकी पूजा करें और इस रक्षा बंधन पर शपथ ले कि हम प्रत्येक व्यक्ति एक-एक पेड़ लगाएंगे और उसकी रक्षा भी करेंगे। तभी जाकर वास्तव में रक्षाबंधन का यह पर्व चरितार्थ होगा।
रिपोर्ट- बलिया ब्यूरो लोकेश्वर पाण्डेय