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विशेष: चीन-भारत सीमा पर घटित वर्तमान घटना चीन की सोची- समझी चाल, चीनी वस्तुओं के बहिष्कार से तोड़ी जा सकती है चीन की आर्थिक रीढ़


बलिया (ब्यूरो) अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा, बलिया के पूर्व प्राचार्य व पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक ने "ख़बरे आजतक Live" वेब मीडिया चैनल से विशेष बातचीत में बताया कि चीन के साथ जो सीमा विवाद चल रहा है, वो नया नहीं है, बल्कि 1960 के दशक से ही चला आ रहा है, जिसको कभी भी सही ढंग से सुलझाने का प्रयास नहीं हुआ। दूसरी तरफ चीन की नीति सदैव विस्तारवादी रही और झूठे राग अलापना तथा धोखे से वार करना उसकी फितरत रही है। वर्तमान समय में लिपूलेख दर्रा तक जो सीमा पर सड़क निर्माण हुआ और अन्य क्षेत्रों में भी सीमा पर जो सड़क निर्माण भारत द्वारा किया जा रहा है, उससे चीन बौखला गया है। नेपाल को भी चीन द्वारा ही रणनीति के तहत उकसाया गया, जिसके सह पर वह भी भारत से सीमा विवाद में उलझता जा रहा है।अभी जो चीन के साथ ताजी घटना हुई है, वह भी चीन की सोची - समझी चाल है, जिसमें हमारे सैनिक हताहत हुए, किंतु हमारे सैनिकों की वीरता एवं साहस का कोई जवाब नहीं, जिसके बल पर भारतीय सैनिकों द्वारा चीन का मात्र  मुहतोड़ जवाब ही नहीं दिया गया, बल्कि उनके सैनिकों को भी मार गिराया गया और अनेक सैनिकों को घायल कर दिया गया। इस घटना को भी चीन अपनी झूठी दलीलों से लिपापोती करना चाह रहा है और बढ़ चढ़ कर भारत पर ही आरोप लगाए जा रहे हैं। 

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आज आवश्यकता इस बात की है कि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ चीन का मुहतोड़ जवाब दिया जाय और यह जवाब केवल युद्ध करके ही नहीं दिया जा सकता, बल्कि चीन से आयात किए जाने वाले सभी वस्तुओं के आयात पर अधिक से अधिक शुल्क लगाकर उसको इतना महँगा कर दिया जाय कि चीन की कोई भी वस्तु हम खरीद न सकें। चीन से मँगाई गयी वस्तुओं की खरीदारी न करके हम चीन की आर्थिक रीढ़ को तोड़ सकते हैं। व्यापारिक नीतियों की मजबूरी के चलते आयात- निर्यात पर पूर्णतः रोक नहीं लगाया जा सकता, किंतु आयात में कमी तो लाई ही जा सकती है। जिस तरह हमारे जाबाँज सैनिक चीन का मुहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं, उसी तरह हमारे देश की देशभक्त जनता भी चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। आज देश की सरकार को कठिन निर्णय लेने का समय आ गया है ताकि चीन को सबक सिखाया जा सके, देश की पूरी जनता तन, मन, धन से देश के साथ है और हर संकट की घड़ी में सहयोग करने को तैयार है, इसमें कोई दो राय नहीं। इस सीमा विवाद में शहीद हुए सभी सैनिकों एवं सैनिक अधिकारियों को कोटिश सैल्यूट एवं भावभीनी श्रद्धांजलि। जय हिन्द।


रिपोर्ट- डॉ ए० के० पाण्डेय

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