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दुबई में फंसे यूपी के इन 189 लोगों के तारणहार बने यें श्याम, चार्टर्ड प्लेन बुक कर सभी को पहुंचाया लखनऊ



बलिया (ब्यूरो) वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण के बीच दुनिया भर में चल रहे लॉकडाउन जैसी फजीहत में सात समुंदर पार फंसे पूर्वांचल व यूपी के लोगों के लिए बलिया का ही एक सपूत तारणहार बन गया और दुबई में एक चार्टड प्लेन को बुक कर पूर्वांचल के करीब 189 लोगों को स्वदेश भेज दिया। यूपी के विभिन्न जनपदों के सभी भारतीय ने हमवतन लौटने पर नवाबों के शहर से एक स्वर में कहा थैंक्स श्यामू भाई। बलिया, गाजीपुर, देवरिया व बरेली आदि जनपद के सभी लोगों को लेकर प्लेन गुरुवार की शाम लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरा। जहां से वे मेडिकल चेकअप के बाद अपने-अपने जनपद के लिए रवाना हो गए। सात समुंदर पार जाकर समस्याओं को करीब से झेल चुके श्याम नारायण बलिया जनपद के बिल्थरारोड तहसील अंतर्गत... 

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...चंदायरकलां गांव के मूल निवासी हैं जो पिछले करीब ढाई दशक से दुबई के अबूधाबी में हैं। 40 वर्षीय श्यामनारायण ने स्नातक तक की पढ़ाई अपने गृह जनपद में ही पूरी की। वे आर्थिक तंगी के बीच परिवार को फाइनेंशियल सपोर्ट करने के उद्देश्य से 1995-96 में मित्रों की मदद से दुबई में मजदूरी करने चले गए। किंतु पढ़ाई अच्छी होने के कारण वे वहां एक कंपनी में सुपरवाइजर हो गए और वर्तमान में अबुधाबी में रिलायंस गल्फ नामक दो कंपनियों के डायरेक्टर हैं। दुबई में पूर्वांचल के बलिया, गाजीपुर, देवरिया, बरेली आदि पूर्वांचल व यूपी के विभिन्न जनपदों के 189 लोग लगातार उनके कंटेक्ट में थे। जो लॉकडाउन में लगातार स्वदेश आने के लिए परेशान थे। श्री यादव ने अपने संपर्क का लाभ उठाते हुए स्वयं एक चार्टड प्लेन को बुक किया और उन्हें दुबई से लखनऊ पहुंचाया। 


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श्यामनारायण के बलिया के करीबी रिश्तेदार व प्रवक्ता आनंद यादव ने बताया कि जल्द ही श्यामनारायण द्वारा एक और प्लेन से यूपी के विभिन्न जनपदों के अन्य लोगों को भी स्वदेश भेजने की तैयारी है। आनंद यादव ने बताया कि बलिया के श्यामनारायण के एक और भाई दुबई में ही रहते हैं जबकि एक अन्य भाई पैतृक गांव चंदायरकलां गांव में बने नवनिर्मित मकान में रहते हैं। श्यामू भाई अपनी पत्नी व तीन पुत्रों के साथ अबूधाबी ही रहते हैं जो अक्सर स्वदेश के पैतृक गांव आते-जाते रहते हैं और यहां के जरुरतमंद लोगों को मदद भी करते हैं। स्वदेश के प्रति अपने प्रेम व लगाव को श्यामू भाई अक्सर इन पंक्तियों के साथ दर्शाते हैं कि भरा नहीं जो भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं-वह हृदय नहीं है, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।


रिपोर्ट- बलिया ब्यूरों लोकेश्वर पाण्डेय

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