गड़वार (बलिया) ग्राम सभाओं में सरकारी अथवा बंजर भूमि पर लोगों द्वारा अतिक्रमण किए जाने की होड़ सी लगी हुई है। यही नही लेखपालों के चलते ग्राम सभा की जमीनों एवं तालाबों पर अतिक्रमण करने के बाद भी अवैध कब्जे की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों तक नही पहुच पा रही है । जबकि हल्का लेखपाल की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले सभी सरकारी अथवा बंजर भूमि पर ध्यान दे कि कोई अवैध रूप से कब्जा न करने पाए, यदि कोई अवैध कब्जे का प्रयास करता है तो उसके विरुद्ध 115 सी के तहत कार्यवाही करने के लिए तहसील प्रशासन को रिपोर्ट प्रेषित करे।
विकास खण्ड गड़वार अंतर्गत ग्राम सभा बाराबांध में अराजी संख्या 145 में 0.462 हेक्टेयर का सार्वजनिक तालाब है जिस पर कतिपय लोगों ने अवैध रूप से अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया है। जिसके सन्दर्भ में कांग्रेस नेता कन्हैया पाण्डेय ने तहसीलदार सदर बलिया, जिलाधिकारी बलिया, मुख्यमन्त्री हेल्प लाईन पोर्टल पर शिकायती पत्र देकर ध्यान आकृष्ट कराया था। उक्त के अनुपालन में राजस्व और पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि की मौजुदगी में पैमाईश और सीमांकन भी करा दिया गया परंतु उक्त तालाब को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका। जिलाधिकारी बलिया, सचिव राजस्व परिषद एवं आयुक्त राजस्व परिषद् को पुनःशिकायती पत्र देकर ध्यान आकृष्ट कराया। उक्त के अनुपालन में नायब तहसीलदार को अतिक्रमण मुक्त करवाने हेतु नामित किया गया। नायब तहसीलदार ने जांच कर अपनी रिपोर्ट भी प्रेषित कर दी परन्तु पता नहीं किन परिस्थितियों में तालाब को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका। शिकायत का निस्तारण न होने पर पुनः 22 अक्टूबर को कन्हैया पाण्डेय ने सचिव राजस्व विभाग उत्तर प्रदेश शासन को पत्र देकर ध्यान आकृष्ट कराया है। जिसके सन्दर्भ में जिलाधिकारी बलिया को शासन द्वारा पत्र प्रेषित किया गया है। इसी बीच माननीय उच्च न्यायालय का भी निर्णय आ चुका है कि 1951-52 से तालाब के रुप अंकित जगह को हर हाल में अतिक्रमण मुक्त करा दिया जाए।अब देखना यह है कि बाराबांध के सार्वजनिक तालाब पर अधिकारीगण और उच्च न्यायालय का आदेश का कितना असर होता है। ग्रामीणों ने उक्त तालाब का निरीक्षण कराए जाने व अवैध कब्जाधारियों को बेदखल की कार्यवायी किए जाने की मांग की है।
रिपोर्ट- संवाददाता डॉ ए० के० पाण्डेय