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Ballia News: कुपोषण के खिलाफ जंग में पोषण पुनर्वास केंद्र बना हमकदम, पोषण पुनर्वास केंद्र ने किया इन 734 बच्चों को सुपोषित

"कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है पोषण पुनर्वास केंद्र, पोषण पुनर्वास केंद्र ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक 734 बच्चों को किया है सुपोषित"

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बलिया (ब्यूरो, उत्तर प्रदेश)। जिला चिकित्सालय में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। पोषण पुनर्वास केंद्र ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक 734 बच्चों को सुपोषित किया है। कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने के उद्देश्य से स्थापित इस केंद्र में आरबीएसके टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों को लाया जा रहा है। साथ ही कुछ बच्चों को ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती कराया जाता है। यह कहना है सीएमएस डॉ० दिवाकर सिंह का। डॉ सिंह ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से पांच वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिला चिकित्सालय में दो अक्टूबर 2016 में एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में लगभग 734 कुपोषित बच्चों की नई जिंदगी दी जा चुकी है। इसमें वह भी बच्चे शामिल है जो रेफर और डिफाल्टर है।

एनआरसी वार्ड के नोडल डॉ अनुराग सिंह ने बताया कि एनआरसी वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने और टीवी भी है। गर्मियों में एसी, पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम आंगनवाड़ी कार्यकर्ती एनआरसी में भर्ती करा रहे हैं। डाइटीशियन रेनू तिवारी ने बताया इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, एफ-75 व एफ-100 यानि प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा, फल इत्यादि। साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन ए, जिंक, मल्टीविटामिंस इत्यादि भी दी जाती हैं। जन्म के कुछ महीनों के बाद चिलकहर ब्लाक के अंतर्गत हजौली गांव के जयपाल का बेटा गोलू कुपोषण की चपेट में आ जाने से अतिकुपोषित हो गया था। उस पर जब सुपरवाइजर नीलम राय की नजर पड़ी तो सुपरवाइजर नीलम राय ने बच्चे के पिता जयपाल एवं माता सरिता को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी।

जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों नि:शुल्क दिया गया। इसके बाद गोलू को पांच मई 2022 को एनआरसी में भर्ती करवाया। भर्ती के समय गोलू का वजन 3.2 किलोग्राम था।14 दिन के उपचार और पोषण युक्त बेहतर खानपान की वजह से उसका वजन 3.8 किलोग्राम हो गया। 19 मई को वह घर चला गया। वहीं ब्लॉक- दुबहर के गाँव- शहोदरा के निवासी राजकिशोर भारती का बेटा अंकुश कुपोषण की चपेट में आ गया। ऐसे में सुपरवाइजर विनीता श्रीवास्तव ने बच्चे के पिता और मां को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। इसके बाद अंकुश को 25 मई 2022 को एनआरसी में भर्ती करवाया गया। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निःशुल्क दिया गया। भर्ती होने के समय अंकुश का वजन 2 किलो 155 किलोग्राम था। 14 दिन के उपचार और पोषणयुक्त बेहतर खानपान की वजह से उसका वजन 2 किलो 515 ग्राम हो गया। आठ जून को वह घर चला गया। दो बार फॉलोअप के बाद उसका वजन अब 4 किलोग्राम हो गया है।

रिपोर्ट- बलिया डेस्क

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