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लॉकडाउन लिख रहा रिश्तों की नई इबारत, अचानक 27 साल बाद ये बेटा लौटा अपने गांव, तब तक दुनिया से रुख्सत हो चुके थे मां-बाप व पत्नी


देवरिया (ब्यूरों) लॉकडाउन रिश्तों की भी नई इबारत लगातार लिख रहा है। किसी को दशकों बाद अपने घर की याद आई है तो कोई तमाम गिले-शिकवे भूल कर अपनों के पास अपने गांव लौट रहा है। ऐसी ही दास्तां है सबवट गांव के रहने वाले महंगी प्रसाद की। पिता से रूठ कर महंगी 27 साल पहले मुम्बई चले गए थें। नाराजगी ऐसी थी कि न तो घर वालों को अपनी खबर दी और न ही पिता, मां, पत्नी व बेटियों की ही कभी सुधि ली। लॉकडाउन में रिश्तों के बीच जमी बर्फ जब पिघली तो महंगी को अपनें घर की याद आई। पर जब लौटे तो सब कुछ बदल चुका था। घर की दहलीज पर सिर पटक कर बहुत रोया मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

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बताते चलें कि तरकुलवा थाना क्षेत्र की कैथवलिया ग्राम पंचायत का एक पुरवा है सबवट। छोटी गंडक नदी के किनारे बसे करीब 7 सौ की आबादी वाले इस टोले में यही कोई 50/60 घर हैं। बात 1993 की है। यहां के रहने वाले महंगी प्रसाद का पिता से झगड़ा हो गया। पिता की नाराजगी भी कोई बेवजह नहीं थी। महंगी ने कुशीनगर जिले के सपहां गांव स्थित ननिहाल में मिली नवासे की जमीन पिता को बिना बताए ही बेच दी। पिता सुंदर प्रसाद को जब इसकी जानकारी हुई तो वे आग-बबूला हो गए। उन्होंने महंगी को जमकर डाटा फटकारा।  पिता की फटकार इकलौते बेटे महंगी को इस कदर नागवार लगी कि वह बिना किसी को कुछ बताए मुम्बई चले गए।

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वहां जाने के बाद भी कभी न तो किसी को अपनी खबर दिया और न ही किसी का हालचाल ही लिया। अकेले सब्जी बेच कर अपना गुजारा करता रहे। महंगी ने जब घर छोड़ा तब घर मे बूढ़े मॉ-बाप व पत्नी के साथ दो बेटियां थीं। बड़ी बेटी मीरा की शादी वह कर चुके थे। मझली बेटी शकुंतला और मंजू किशोरावस्था में थी। चार-पांच साल बितने के बाद भी जब बेटे का कुछ पता नहीं चला तो पिता सुंदर ने शकुंतला और मंजू की शादी कर दी। बाद के वर्षो में मॉ-बाप व पत्नी भी इस दुनिया से चल बसीं। मायके में रह रही महंगी की बेटियों ने पट्टीदारों की मदद से इन सभी का अंतिम क्रिया-कर्म किया।



मुम्बई के बोरीबली में सब्जी का कारोबार करने वाले महंगू के सामने लॉकडाउन ने जीवन-मरण का संकट खड़ा कर दिया। इसके बाद उन्होंने घर पहुंचने का निश्चय किया। 8 मई को सब्जी की आपूर्ति करने वाले एक ट्रक पर बैठ कर घर के लिए निकले तथा 11 मई को देवरिया आए। यहां से कोई वाहन नहीं मिला तो पैदल अपने गांव के पास बसंतपुर धूसी पहुंचे। गांव जाने के रास्ते पक्के होने और छोटी गंडक नदी पर पुल बन जाने से उन्हें गांव को लेकर भ्रम हो गया। लोगों से पूछा तो उन्होंने सबवट जाने वाले रास्ते की जानकारी दी।
छोटी गण्डक नदी पर बने पुल को पार कर महंगी सबवट पहुंचे।



गांव के सीवान में ही थे कि किसी ने मायके में रह रही बेटी मीरा को उनके आने की खबर दी। पिता के लौटने की बात सुन मीरा नंगे पांव दौड़ पड़ी। एक दूसरे को देख दोनों की आंखों से अश्रुधारा बह निकली। पिता व बेटी ने दूर से ही एक दूसरे का कुशल क्षेम पूछा और फिर महंगी गांव के प्राथमिक विद्यालय में बने क्वारंटीन सेंटर चले गए। पूछने पर महंगी कहते हैं पिता की बात से नाराज होकर मैंने अपने जीवन मे बहुत बड़ी गलती कर दी। पर अब तो घर पर ही रहना है। महंगी ने बताया कि क्वारंटीन के बाद मै अपने तीनों बेटियों को अपने पास बुलाकर माफी मांगूंगा।

रिपोर्ट- देवरिया डेस्क

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